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अनमोल इंडियंस

Inspiring Indians Stories To Motivate From India. \ भारत के उन प्रेरक नायक नायिकाओं की कहानियां, जो अपने काम से भारत को बेहतर से बेहतरीन बनाने में जुटे हैं!

एक आश्रम और 300 बुज़ुर्ग- प्यार की तलाश में भटकते इस शख़्स की कहानी आपके दिल को छू जाएगी

By प्रीति टौंक

अडूर (केरल) के रहने वाले राजेश थिरुवल्ला ने अपना बचपन ग़रीबी में, माता-पिता के प्यार के बिना ही गुज़ार दिया। लेकिन आज वह एक नहीं, 300 बुज़ुर्गों के बेटे हैं और सबकी ज़िम्मेदारी बड़े प्यार से उठा रहे हैं। पढ़ें, महात्मा जनसेवा केंद्रम के संस्थापक राजेश थिरुवल्ला की कहानी।

9-5 जॉब व शहरी जीवन छोड़ लवप्रीत और प्रीती ने शुरू की खेती, पहाड़ पर जी रहे सस्टेनेबल लाइफ

By पूजा दास

गुरुग्राम के रहनेवाले एक आम शहरी कपल, जो उत्तराखंड गए तो छुट्टियां मनाने, लेकिन वहीं के होकर रह गए। आसान नहीं था अपनी जॉब छोड़कर आना और सस्टेनेबल लाइफ चुनना! लेकिन आज लवप्रीत और प्रीती खेती कर एक सुकून भरी ज़िंदगी जी रहे हैं।

500 बच्चों को मुफ्त में पढ़ाता है ‘मिड डे मील’ बनाने वाली माँ का यह बेटा

By प्रीति टौंक

'प्रभावती वेलफेयर एंड एजुकेशन ट्रस्ट' के ज़रिए पंढरपुर (बनारस) के मनोज यादव, 15 गांवों के 500 गरीब बच्चों को उनकी बस्ती में जाकर पढ़ा रहे हैं। पढ़ें, कैसे मिली उन्हें इस काम को शुरू करने की प्रेरणा!

18 साल के युवा ने 152 जानवरों, 3000 सांपों को किया रेस्क्यू, गांव में बनाया रेस्क्यू सेंटर

‘स्नेक मैन’ के नाम से मशहूर बिहार के हरिओम चौबे का सांपों से अनोखा जुड़ाव देख, बचपन में घरवालों ने उन्हें यह काम करने से रोका। लेकिन हरिओम ने फिर भी सालों तक जानकारी इकट्ठा की, सांपो के बारे में सब कुछ पढ़-जानकर उन्हें रेस्क्यू करना शुरू किया। आज वह गांव में दूसरा रेस्क्यू सेंटर बनाने की तैयारी में हैं।

सोलर रूफ़, मियावाकी फॉरेस्ट्स और रीसाइकल्ड बेंच; सब है अहमदाबाद के इस अफ़सर का कमाल

भारतीय रेलवे की ट्रेनों में और स्टेशनों पर स्वच्छता की योजना को नए स्तर पर ले जाने वाले फेडरिक पैरियथ ने न केवल अपनी नौकरी की, बल्कि पर्यावरण के प्रति अपनी ज़िम्मेदारियां भी बखूबी निभाईं। उन्हीं के कारण अहमदाबाद रेलवे स्टेशन का कायाकल्प हो सका और आज यह कई सस्टेनेबल तरीक़ों से काम करता है।

1500+ पक्षियों की जान बचा चुके हैं दिल्ली के ये दो भाई, तुरंत पहुंच जाते हैं स्पॉट पर

By रोहित मौर्य

दिल्ली के रहनेवाले दो भाइयों, अमित जैन और अभिषेक जैन ने न सिर्फ पक्षियों का दर्द देखा और समझा, बल्कि अपना पूरा जीवन इन पक्षियों और जीवों की सेवा के लिए समर्पित कर दिया।

100 रोटी सुबह और 100 रोटी शाम को बनाकर, हर दिन जानवरों का पेट भरती हैं कोटा की सोनल गुप्ता

By सुजीत स्वामी

एक दिन एक छोटे से कुत्ते की जान बचाने के बाद, कोटा की सोनल गुप्ता की जैसे ज़िंदगी ही बदल गई। उन्होंने बेज़ुबानों के दर्द को महसूस किया और लॉकडाउन में उनका सहारा बनीं। इसके बाद वह शहर में श्वानों की सेवा करने के लिए जानी जाने लगीं। आज वह ‘GSM स्क्वाड’ नाम से अपना NGO चलाती हैं और अब तक 5000 से ज़्यादा पशुओं की जान बचा चुकी हैं।

अब किराए पर ले सकते हैं सब्ज़ी का थैला! इस डॉ. के 'विकल्प' से कम होगी प्लास्टिक की समस्या

By रोहित मौर्य

दिल्ली की डॉ. रूबी मखीजा पर्यावरण और प्रदूषण को लेकर काफ़ी सतर्क रहती हैं और इसीलिए उन्होंने शहर में बढ़ रही प्लास्टिक की समस्या को कंट्रोल करने के लिए प्रोजेक्ट ‘विकल्प’ की शुरुआत की। उन्होंने नवंबर 2021 में दिल्ली की मार्केट में ‘विकल्प स्टाल्स’ खोले, जहाँ से आप कपड़े का थैला उधार ले सकते हैं।

एक शख़्स ने दिलाई महिलाओं के हुनर को पहचान, विदेश में भी गूंज चुकी है इनके ढाक की ताल

By प्रीति टौंक

'मोतीलाल ढाकी' देश का पहला महिला ढाकी ग्रुप है, जिसने तमाम बाधाओं को तोड़कर देश-विदेश में दिखाया अपने हुनर का कमाल। जानिए किसकी पहल से हुई थी इस ग्रुप की शुरुआत।

यह परिवार रखता है कई बेसहारा लोगों का ख़्याल, 173 भटके लोगों को उनके परिवारों से मिलाया

By प्रीति टौंक

साल 2018 से यमुनानगर के रहनेवाले सरदार जसकीरत सिंह और उनका पूरा परिवार मिलकर ‘नि आसरे दा आसरा' नाम से एक शेल्टर होम चला रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने 173 लोगों को फिर से अपने परिवार से मिलने में मदद भी की है।