झुग्गी-झोपड़ी के 5 बच्चों को निःशुल्क पढ़ाने से की थी शुरुआत, आज हैं 150 बच्चों के पिता

ज़िंदगी भर अपने पिता को अपनी स्कूल की फ़ीस भरने के लिए कड़ी मेहनत करते देख, 31 साल के उद्देश्य सचान ने अपना ही नहीं, बल्कि कई गरीब बच्चों का भविष्य बनाने की ठानी और उनको फ्री में पढ़ाना शुरू कर दिया। आज कानपुर के गुरुकुलम में 150 से ज़्यादा बच्चे ख़ुशी से, खेल-कूदकर पढ़ाई करते हैं।

Khushiyon wala school

कानपुर शहर के एक अनोखे स्कूल 'गुरुकुलम' में बच्चे खुशी-खुशी पढ़ाई करते हैं। क्योंकि यहाँ उनपर ज़्यादा मार्क्स लाने का प्रेशर और उनके परिवारों को मोटी फ़ीस भरने की कोई चिंता नहीं है। यहाँ गरीब बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दी जाती है। इसीलिए यह 'खुशियों की पाठशाला' के नाम से भी शहर में मशहूर है। 

कानपुर में रहनेवाले उद्देश्य सचान, 31 साल की उम्र में 150 वंचित बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं। ज़िन्दगी भर अपने पिता को अपनी स्कूल की फ़ीस भरने के लिए परिश्रम करते देख, उद्देश्य ने कड़ी मेहनत की और सभी एग्ज़ाम में टॉप तो किया; लेकिन क्रिटिकल थिंकिंग और निर्णायकता की कमी की वजह से उनका किसी कंपनी में सिलेक्शन नहीं हो पाया। इस वजह से वह ढाबों और आइस फैक्ट्रीज़ में काम करने लगे। वहां उन्हें कई बार ऐसा लगा कि वह अपनी पढ़ाई और मेहनत को ज़ाया कर रहे हैं।

जब उन्होंने अपनी शिक्षा को समाज के काम लाने की ठानी, तो उन्हें यह एहसास हुआ कि उनके जैसे कई और लोग भी हैं, जो झुग्गी बस्तियों में रहते हैं। जिनके बच्चे गरीबी के कारण स्कूल नहीं जा पाते, अक्सर उन्हें बीमारियों का सामना करना पड़ता है, और वे बेरोज़गारी से जूझ रहे हैं। और तब उद्देश्य ने एक ऐसा स्कूल खोलने का फैसला किया, जो खुशियां फैलाए। 

Uddeshya with one of the children who studies at Gurukulam
गुरूकुलम में पढ़ने वाली एक बच्ची के साथ उद्देश्य

द बेटर इंडिया से बात करते हुए उद्देश्य कहते हैं, "मैं पिछले 4 सालों से गुरूकुलम- खुशियों वाला स्कूल नाम का विद्यालय चला रहा हूँ। जहां 150 अभावग्रस्त और झुग्गी-झोपड़ी के बच्चों को नि:शुल्क पढ़ा रहा हूँ।"

5 गरीब बच्चों को मुफ्त में पढ़ाने से की शुरुआत 

यहाँ तक का सफ़र उनके लिए काफ़ी मुश्किल था, क्योंकि एक साधारण व्यक्ति के लिए स्कूल खोलना कोई आसान काम नहीं होता। इसलिए उन्होंने 2019 में 9वीं और 10वीं क्लास के 5 बच्चों को मुफ्त में कोचिंग देने से शुरुआत की। फिर धीरे-धीरे झुग्गी झोपड़ियों के बच्चों को भी पढ़ाना शुरू किया। ऐसा करते हुए 5 बच्चों से 10 बच्चे हुए और 10 से 70 बच्चे हो गए।  

इन सभी बच्चों को उद्देश्य बिना कोई फ़ीस लिए पढ़ाते थे। 21 फरवरी, 2021 को उन्होंने एक कमरा किराए पर लेकर, यहां ‘गुरूकुलम- खुशियों वाला स्कूल’ शुरू किया। जहाँ आज 150 छात्र हैं और 3 टीचर्स इन्हें पढ़ा रहे हैं।

पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों को बना रहे आत्मनिर्भर 

यहाँ बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ ज़िन्दगी में काम आने वाले प्रैक्टिकल सब्जेक्ट्स; जैसे बिज़नेस स्किल्स, लाइफ हैक्स, साइकोलॉजी, थिएटर और मॉरल स्टडीज़ भी सिखाए जाते हैं। इसके साथ ही बच्चे पढ़ाई के अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रमों और खेल-कूद में हिस्सा लेते हैं। बच्चे यहां अपनी मर्ज़ी से, खुशी से पढ़ने आते हैं और खुशियों की पाठशाला में खूब मस्ती के साथ पढ़ाई करते हैं। 

कानपुर के गुरुकुलम को उद्देश्य, भारत के हर ज़रूरतमंद बच्चे तक पहुंचना चाहते हैं। अगर आप उनकी इस सोच का साथ देना चाहते हैं, तो उन्हें 6388023523 पर संपर्क कर सकते हैं। 

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