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Poor Children

झुग्गी-झोपड़ी के 5 बच्चों को निःशुल्क पढ़ाने से की थी शुरुआत, आज हैं 150 बच्चों के पिता

ज़िंदगी भर अपने पिता को अपनी स्कूल की फ़ीस भरने के लिए कड़ी मेहनत करते देख, 31 साल के उद्देश्य सचान ने अपना ही नहीं, बल्कि कई गरीब बच्चों का भविष्य बनाने की ठानी और उनको फ्री में पढ़ाना शुरू कर दिया। आज कानपुर के गुरुकुलम में 150 से ज़्यादा बच्चे ख़ुशी से, खेल-कूदकर पढ़ाई करते हैं।

इस कोचिंग क्लास में मनचाही फ़ीस देकर पढ़ सकते हैं बच्चें, शहर से लौटे दो दोस्तों की पहल

तीन साल पहले शहर से पढ़ाई करके सोनभद्र लौटे दो दोस्त आज अपने गाँव में ही एक अनोखा कोचिंग सेंटर चला रहे हैं, जहाँ कोई भी बच्चा मनचाही फ़ीस देकर अच्छी शिक्षा हासिल कर सकता है।

रक्षक भी, शिक्षक भी! ड्यूटी के बाद गरीब बच्चों को पढ़ाते हैं पुलिस कॉन्स्टेबल विकास कुमार

बिजनौर में तैनात UP Police कॉन्सटेबल विकास कुमार घंटों ड्यूटी करने के बाद गरीब बच्चों को मुफ्त में शिक्षा देते हैं। बच्चों को पढ़ाने के लिए उन्होंने पाठशाला खोली हैं। उनके इस नेक काम के लिए उन्हें डिपार्टमेंट से सम्मान भी मिल चुका है।

करोड़ों की स्कॉलरशिप दिलाकर लाखों ग़रीब छात्रों की मदद कर चुके हैं 80 साल के रिटायर्ट शिक्षक

By पूजा दास

‘स्कॉलरशिप मास्टर’ के नाम से जाने जाने वाले दक्षिण कन्नड़ के नारायण नाइक सरकारी हाई स्कूल के रिटायर्ड शिक्षक हैं, जिन्होंने पिछले कई सालों में एक लाख से ज़्यादा छात्रों के जीवन को बदला है और उन्हें करोड़ों की स्कॉलरशिप्स दिलाईं हैं।

कचरा उठाने वालों के 500 बच्चों को मुफ्त में पढ़ाता है दिहाड़ी मजदूर का इंजीनियर बेटा

इरप्पा नाइक ने 20 सालों तक पैसे जमा किए ताकि वह गरीब बच्चों के लिए निशुल्क स्कूल खोल सकें।

ज़रूरतमंद बच्चों का मॉल है रांची का 'महाबाज़ार,' यहाँ बच्चे खरीदते हैं अपनी मनपसंद चीजें!

By निशा डागर

इस संगठन की शुरुआत साल 2014 में दसवीं कक्षा के 4 छात्रों ने की थी और आज लगभग 70 युवा इस संगठन से जुड़े हुए हैं!

हर महीने बचाते हैं कुछ पैसे, ताकि गरीब बच्चों का जीवन संवार सकें!

By नीरज नय्यर

कुछ साल पहले सड़क पर भीख मांगते बच्चों को देखकर नवीन के मन में उन्हें शिक्षित करने का ख्याल आया, ताकि वह इज्जत के साथ रोजी-रोटी कमा सकें।

दिल्ली: ग्रोसरी शॉप के साथ चलाते हैं पुल के नीचे 300 बच्चों के लिए फ्री स्कूल!

By रोहित मौर्य

राजेश ने दो बच्चों के साथ पढ़ाना शुरू किया था और आज उनके पास करीब 300 बच्चे पढ़ाने आते हैं।