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फंसे श्रमिकों को चंद घंटों में मिली राशन और चेकअप की सुविधा, प्रशासन का सराहनीय कदम

छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में श्रमिक दूसरे जिले से परिवार के साथ काम करने आए थे। इनका राशन खत्म हो गया था और छोटे-छोटे बच्चे बीमार थे। इस बीच इनको समझ नहीं आ रहा था कि कहाँ जाए और क्या करें?

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फंसे श्रमिकों को चंद घंटों में मिली राशन और चेकअप की सुविधा, प्रशासन का सराहनीय कदम

कोरोना के कारण देश के अलग अलग स्थानों में श्रमिक फंसे हुए हैं। इस लॉकडाउन में इन श्रमिक साथियों के रहने और दो वक्त के खाने की समस्या कई जगहों से सामने आ रही है। ऐसे समय में प्रशासन और विभिन्न स्वयं सेवा संस्थाएं अपने-अपने स्तर पर कार्य कर इन सभी लोगों को राहत पहुंचाने का काम कर रहीं हैं। ऐसा ही एक मामला है छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले का जहाँ पर निर्माणधीन बिल्डिंग में फंसे हुए श्रमिकों की मदद के लिए दो जिला प्रशासन ने सजगता दिखाते हुए चंद घंटों में उनके राशन और इलाज की व्यवस्था मुहैया करवा दी।

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क्या है मामला?

कांकेर के पास इमलीपारा गाँव में लगभग 75 श्रमिक एक निर्मणाधीन बिल्डिंग में फंसे हुए थे। लॉकडाउन होने के कारण ये सभी श्रमिक अब जिले के बाहर घर भी नहीं जा सकते थे। यह श्रमिक साथी छत्तीसगढ़ के कवर्धा, बेमेतरा और मुंगेली से अपने परिवार के साथ काम करने आए थे। इनका राशन खत्म हो गया था और छोटे-छोटे बच्चे बीमार थे। इस बीच इनको समझ नहीं आ रहा था कि कहाँ जाए और क्या करें? श्रमिक दिलेश्वर ने बताया, "हमारे साथ पूरा परिवार है। मौसम के चलते बच्चों की तबियत खराब हो गई है और अब तो राशन की भी व्यवस्था नहीं है। हम तो जैसे तैसे भूखे रह लेंगे लेकिन बच्चों को तो बिना खिलाए नहीं रख सकते।"

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कवर्धा कलेक्टर अवनीश शरण ने की पहल

इस पूरे विषय को जब कवर्धा जिले के कलेक्टर अवनीश शरण के संज्ञान में लाया गया तो उन्होंने तत्काल एक्शन लेते हुए इस पर कार्य शुरू कर दिया। कवर्धा कलेक्टर ने जानकारी मिलते ही कांकेर जिला प्रशासन और सम्बंधित अधिकारियों को संपर्क कर पूरा विषय बताया। इसके 4 घंटे बाद ही इन सभी श्रमिक साथियों के इलाज के लिए कांकेर जिला प्रशासन की तरफ से हेल्थ टीम पहुंच गई। न केवल बच्चों का अपितु सभी श्रमिकों और महिलाओं का भी स्वास्थ्य जाँच किया गया।साथ ही, लॉकडाउन तक उनके लिए राशन और सभी अतिआवश्यक चीजें भी मुहैया करवा दी गईं।

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कवर्धा कलेक्टर -अवनीश शरण

इस पहल में दो अलग अलग जिला प्रशासन ने ताल-मेल बिठाते हुए त्वरित निर्णय लिया और हर संभव राहत पहुंचाने का कार्य किया। आज जब इस संकट के समय में मजदूर इधर-उधर भटक रहें हैं, उस बीच ऐसी खबरें बेहद सुकून देती है। प्रशासनिक व्यवस्था में कवर्धा और कांकेर जिले की निश्चित ही सराहना की जानी चाहिए जिनके इस प्रयास से आज सभी ज़रूरतमंदों को सुविधा और राहत मिली है।

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मदद मिलने के बाद उपासी साहू कहतीं हैं, "हमको उम्मीद नहीं थी कि शहर के बाहर से कोई मदद करने आएगा लेकिन अब अच्छा लग रहा और लॉकडाउन तक हमलोगों के लिए पूरी व्यवस्था प्रशासन ने कर दी है। अब बच्चों के लिए दवाई भी है। इन लोगों की मदद से सब ठीक हो गया है।"

कलेक्टर अवनीश शरण और कांकेर जिला प्रशासन के इस संयुक्त प्रयास को सलाम!

संपादन -  अर्चना गुप्ता


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