भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय द्वारा हाल ही में जारी किए गए एक मैन्युअल के मुताबिक अगर 80 फीसदी लोग बाहर निकलते समय फेस-मास्क का इस्तेमाल करते हैं तो महामारी के प्रकोप को प्रभावी तरीके से रोका जा सकता है!
छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में श्रमिक दूसरे जिले से परिवार के साथ काम करने आए थे। इनका राशन खत्म हो गया था और छोटे-छोटे बच्चे बीमार थे। इस बीच इनको समझ नहीं आ रहा था कि कहाँ जाए और क्या करें?
"हम एक बार फुल बॉडी सूट पहन लेते हैं तो पूरी शिफ्ट के दौरान आठ घंटे इसे पहने रहते हैं। यह एक तरह का स्पेससूट जैसा होता है, जो एयरटाइट होता है। इसके बाद ना तो हम कुछ खा-पी सकते हैं, ना वॉशरूम जा सकते हैं और ना ही थोड़ी देर के लिए इसे उतार सकते हैं, और इस तरह हमलोग आइसोलेशन वार्ड के अंदर मरीज़ों की देखभाल करते हैं।”
दत्ता राम ने सोचा था कि इस साल की फसल के पैसों को वह ट्रैक्टर खरीदने के लिए लगाएंगे। लेकिन अपने गाँव के गरीब मजदूरों की स्थिति उनसे देखी नहीं गई और उन्होंने उनकी मदद करने की ठानी!
कोई अपनी ज़मीन दे रहा है तो कोई कर रहा है श्रमदान, किसी ने सरकारी एंबुलेंस ठीक करने की ठानी है, तो कोई मास्क बना रहा है। किसी ने किरायेदारों का किराया माफ किया, तो किसी ने अपने घर के दरवाज़े ज़रूरतमंदों के लिए खोल दिए। हर कोई अपने सामर्थ्य के अनुसार कोरोना से इस लड़ाई में अपनी-अपनी भूमिका निभा रहा है।
“मैं इस महामारी के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले लोगों के प्रति अपना आभार व्यक्त करना चाहूंगा। वे परिवार से दूर अपने कर्तव्य के प्रति अटूट भावना के साथ काम कर रहें हैं।”
सरकार ने COVID-19 से लड़ रहे सभी स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए एक खास बीमा योजना की घोषणा की है, जिसमें अस्पतालों के डॉक्टरों से लेकर सफाई कर्मचारी तक शामिल हैं!
"ज्यादातर लोगों के लिए, अहम सवाल यह है कि अगर वे बाहर नहीं निकलते हैं, तो खाने के लिए राशन और महत्वपूर्ण दवा कहां से आएगी? हम उनकी ये समस्या दूर करना चाहते हैं।" - शिशिर जोशी