पहलगाम (कश्मीर) के एक गांव हसन नूर के 28 वर्षीय जासीफ़ अहमद डार किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। पिछले साल लॉकडाउन के कारण, जब उनके कई किलो अखरोट नहीं बिके, तो उन्होंने एक नई तरकीब निकाली और इसके प्रोडक्ट्स बनाकर ऑनलाइन बेचना शुरू कर दिया।
पक्के इरादों और नई तकनीक से जुड़कर खेती की जाए तो यह कभी घाटे का सौदा नहीं साबित होगी। हैदराबाद के नंदकिशोर से बेहतर भला इसे कौन जान सकता है। पढ़ें, आईटी कंपनी छोड़कर, एक सफल किसान बनने की यह कहानी।
बेहद ही सुंदर दिखने वाला ड्रैगन फ्रूट हमारी सेहत के लिए फायदेमंद भी है। सूरत में dragon fruit farming करने वाले जशवंत पटेल इसे फायदे की खेती बताते हैं।
इम्युनिटी बूस्टर के रूप में बच्चे से लेकर बुजुर्ग, सभी च्यवनप्राश खाते हैं। बस इस बात को ध्यान रखते हुए अजमेर की अंकिता कुमावत होममेड च्यवनप्राश बनाने लगी और आज बाजार में उनके उत्पाद की खूब मांग है।
पंजाब के 65 वर्षीय प्रेमचंद पिछले 40 वर्षों से गन्ना (Sugarcane farming), आलू, गेहूं और बीट जैसे फसलों की खेती कर रहे हैं। अपने खेत में वह तीन तरह के गुड़ बनाते हैं, जिससे उन्हें डेढ़ गुना अधिक कमाई हो रही है।
जिस उम्र में युवा बड़ी-बड़ी नौकरियों के सपने देखते हैं, उस उम्र में तिरुपति के रहनेवाले संदीप कन्नन ने हाइड्रोपोनिक खेती की राह चुनी। आज उनका स्टार्टअप ‘व्यवसायी भूमि’ अच्छी खासी कमाई कर रहा है।