उत्तर प्रदेश के डॉ. जय नारायण तिवारी, आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए न केवल खुद खेती कर रहे हैं, बल्कि क्षेत्र के कई किसानों के लिए मिसाल भी बन गए हैं।
दिल्ली की अच्छी-खासी नौकरी छोड़ मनदीप वर्मा ने ऑर्गेनिक फलों की खेती शुरु की है। 'स्वास्तिक फार्म' नाम के फलों के इस बगीचे में मनदीप कीवी और सेब उगाते हैं और ये ताजे फल पूरे देश में बेचे जा रहे हैं।
मिलिए उत्तराखंड की सुपरवुमन बबीता रावत से, जिन्होंने 19 साल की छोटी-सी उम्र में अपनी पढ़ाई छोड़े बिना, एक एकड़ की जमीन पर खेती की, मशरूम उगाए, दूध बेचा और एक नर्सरी की शुरुआत की।
गैंगटॉक (सिक्किम) की दिली माया भट्टाराई को जैविक खेती और बेहतरीन मार्केटिंग प्रणाली के लिए, राज्य के "प्रगतिशील किसान पुरस्कार 2021" से सम्मानित किया गया है। जबकि आठ साल पहले तक वह रसायन वाली खेती ही किया करती थीं।
महाराष्ट्र के उरळी कांचन में रहनेवाले भाऊसाहेब कंचन ने अपने घर की छत को अंगूर के एक हरे-भरे बाग में बदल दिया है, जिसे देखने पुणे जैसे शहरों से भी लोग आते हैं।
सूरत के पास, अंभेटी गांव के रहनेवाले कमलेश पटेल ने साल 2015 में खुद जैविक खेती को अपनाया और गांव के कई दूसरे किसानों के लिए जैविक खाद बनाकर उन्हें भी जीरो बजट खेती सिखाई।
बचपन की दोस्त मिनुश्री और अमृता ने सौर ऊर्जा से चलने वाले तीन इनोवेटिव उपकरण बनाए हैं। इससे न केवल किसानों का काम आसान होगा, बल्कि उन्हें अपनी आमदनी बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।
मिलिए नवसारी (गुजरात) स्थित गणदेवा गांव के संजय नायक और उनकी पत्नी अजिता नायक से, जिन्होंने अपने आम के बागीचे में एक बेहतरीन बिज़नेस मॉडल तैयार किया है और 15 से ज्यादा प्रोडक्ट्स बनाकर करोड़ों का मुनाफा कमा रहे हैं।
बिहार के दरभंगा जिला के बलभद्रपुर गांव में रहनेवाली पुष्पा झा ने साल 2010 में मशरूम की खेती शुरू की थी। शुरुआत में उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा, लेकिन आज हर दिन हजारों की कमाई हो रही है। पढ़िए यह प्रेरक कहानी!