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Farmers Success Stories | Successful Farmers | Farming Tips

बाल्टी में मोती उगाकर कमा रहे लाखों, ऑस्ट्रेलिया, स्विट्ज़रलैंड में मशहूर हैं इनके मोती

65 वर्षीय केजे माथचन ने करीब 1.5 लाख रूपए का निवेश कर 4.5 लाख रूपए के मोती उगाये जिससे उन्हें सीधे-सीधे करीब 3 लाख रूपए का फायदा हुआ।

ऑर्गैनिक खेती से 200 किस्म के चावल उगाते हैं, केमिकल के साथ त्याग दिए विदेशी कपड़े भी

By कल्पना

पढ़िए उस नौजवान किसान की कहानी जिसने कॉर्पोरेट सेक्टर की एक हाई प्रोफाइल नौकरी छोड़, धोती कुर्ता पहनने वाले एक फुल टाइम किसान के रूप में खेती का काम शुरू किया।

इसरो की नौकरी छोड़ किसानों के लिए बना रहे हैं मशीनें ताकि खेती हो सके आसान!

By रोहित मौर्य

नितिन किसानों की आर्थिक स्थिति का ध्यान रखते हुए ऐसे उपकरण बनाते हैं जिससे किसान एक ही सीजन में उसकी कीमत निकाल लें।

कभी खेती करने के लिए मना करते थे दादाजी, अब उसी खेती से पोती कमा रही सालाना 10 लाख रूपये

सनिहा सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को खेती के बारे में जानकारी भी देती हैं और ज्यादा से युवाओं को खेती में आने के लिए प्रेरित करती हैं।

गेंदे के फूल के तेल ने बदली किसान की किस्मत, गरीबी को मिटा ले आये अच्छे दिन

70 वर्षीय किसान समर सिंह अपने बेटों को तो किसान नहीं बना पाए लेकिन वह अपने नाती को प्रशिक्षित करके एक सफल किसान बनाना चाहते हैं।

मुंबई: दो गमलों से शुरू की थी गार्डनिंग, अब 16 साल पुरानी जॉब छोड़ खेती से कमाते हैं लाखों

By पूजा दास

नौकरी छोड़ खेती शुरू करने वाले अनीश का मानना है कि यदि हम भोजन को अपनी दवा बना लेते हैं, तो हमें बीमारियों के बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं होगी।

देसी मशीनों से खेती कर रिटायर्ड फ़ौजी ने अपने गाँव को बनाया देश का सबसे बड़ा गाजर उत्पादक

साल 2006 में कर्नल देसवाल और उनके मित्र लाल किशन यादव ने मिलकर गाजर की खेती शुरू की थी। इसके साथ ही उनका लक्ष्य बड़ी संख्या में किसानों को एक सूत्र में पिरोना, आधुनिक कृषि पद्धति को अपनाना और फसल कटाई के बाद के बुनियादी ढांचे की स्थापना करना था।

कभी दिहाड़ी मजदूरी करने को मजबूर यह आदिवासी महिला, आज हैं मशरूम खेती की मास्टर ट्रेनर!

By नेहा रूपड़ा

पश्चिम बंगाल के उत्तरी दिनाजपुर की रहने वाली सुशीला के गाँव की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि उनके पास चाय के बागान में दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करना ही एक मात्र विकल्प था लेकिन फिर भी उन्होनें हार नहीं मानी!