छत्तीसगढ़ धीरे-धीरे लेकिन स्थिरता से कुपोषण के मुद्दे को हल कर रहा है और झारखंड, राजस्थान, असम और ओडिशा जैसे अन्य राज्य, बेशक इससे सीख लेकर अपने यहाँ भी इस तरह की योजनायें और कार्यक्रम शुरू कर सकते हैं।
''अब जब गाँव जाता हूँ तो लोग ख़ुशी-ख़ुशी बताते हैं कि अब हमारा इलाज हो गया है। नवजात शिशु को मेरे पास लेकर आते हैं और कहते हैं कि कैसे संगी एक्सप्रेस के माध्यम से उनके जीवन में बदलाव आया है। मैं इन गाँव वालों के चेहरों पर खुशी देखता हूँ तो लगता है कि बाइक एम्बुलेंस शुरू करना सबसे बेहतर कदम था।''
शशि रायगढ़ के डोंगीपानी गांव में प्राइमरी स्कूल के शिक्षक हैं। उन्होंने स्कूल के बच्चों को अंग्रेजी बोलना, लिखना और पढ़ना सिखाया है और आज स्कूल के बच्चे फर्राटेदार अंग्रेजी में बात करते है।
वो कहते हैं न अभी भी कुछ लोग गरीबी में जिंदगी जीते हुए भी ईमानदारी की रोटी खाना पसंद करते हैं। तभी तो लाख रुपए मिलने के बाद भी इस ऑटो रिक्शा चालक का ईमान नहीं डगमगाया।
छत्तीसगढ़ में महासमुंद जिले के पिथौरा ब्लॉक में स्थित ग्राम पंचायत सपोस पूरे भारत में एक आदर्श ग्राम पंचायत की मिसाल पेश कर रही है। ग्राम पंचायत सपोस के अंतर्गत दो गाँव, सपोस और गबौद आते हैं। इन दोनों गांवों के विकास के लिए ग्राम पंचायत उम्दा कार्य कर रही है।
छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में स्थित पुरई गाँव भारत के खेल-गाँव के नाम से मशहूर है। इस गाँव में हर एक घर में आपको खिलाड़ी मिल जायेंगें। पिछले साल ही भारतीय खेल प्राधिकरण ने गाँव के 12 बच्चों को तैराकी के लिए चुना है। इन बच्चों को ओलिम्पिक के लिए तैयार किया जायेगा।