सालों से, तीर्थहल्ली के किसान आगरा के पेठे के लिए अपनी फसल भेजते रहे हैं। लेकिन लॉकडाउन ने इस सिलसिले को रोक दिया। पहली बार यह शहर खुद अपना पेठा बना रहा है!
पहले किसानों को उनकी ताजा मिर्च का 50 रुपये प्रति किलो तो सूखी मिर्च का 150 रुपये प्रति किलो दाम मिलता था, लेकिन इसी मिर्च के पाउडर का दाम उन्हें 700 रुपये प्रति किलो मिल रहा है।
फ़िलहाल, भारत में 30 से भी ज्यादा आनंदी पैड्स मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स हैं जो 12 अलग-अलग राज्यों में फैली हैं। इन सभी यूनिट्स को महिलाओं द्वारा ही चलाया जा रहा है!
सालों के अथक प्रयास के बाद, रमन कांत उत्तर-प्रदेश की काली नदी के उद्गम को पुनर्जीवित करने में सफल रहे हैं। 598 किमी तक बहने वाली इस नदी के किनारे 1200 गाँव और कस्बे बसे हुए हैं!
फोर्थ पार्टनर एनर्जी कंपनी द्वारा शुरू पावर@1 पहल के जरिए हर साल स्कूलों में हज़ारों रुपयों की बचत हो रही है। कंपनी का उद्देश्य उन लोगों तक इको-फ्रेंडली और सस्टेनेबल सौर ऊर्जा पहुँचाना हैं, जहां इसकी सबसे ज्यादा ज़रूरत है।