Powered by

Latest Stories

HomeAuthorsपुष्यमित्र
author image

पुष्यमित्र

लड़कों को खेलता देख बच्ची ने पूछा 'हमनी के नैखे खेल सकेलीं किरकेट' और खुल गई Sports Academy

By पुष्यमित्र

बिहार के इस पारंपरिक भोजपुरिया गांव में सामूहिक प्रयास से संचालित हो रही लड़कियों की स्पोर्ट्स एकेडमी। बिहार की टीम में चुनी जा रहीं लड़कियां और हर आंख में पल रहे हैं, नेशनल टीम के लिए खेलने के सपने।

बिहार का 'लेडिज ओनली' प्रोडक्शन यूनिट! देश के कोने-कोने तक जाती है यहाँ की सुजनी

By पुष्यमित्र

बिहार के कोसी अंचल में एक अनूठा प्रोडक्शन यूनिट संचालित हो रहा है, इस यूनिट में सिर्फ महिलाएं ही काम करती हैं और उन्हें नियमित सम्मानजनक आजीविका का अवसर मिलता है।

कोरोना काल में पूरे गाँव की भूख मिटाई इन महिला किसानों की छोटी सी बगिया ने

By पुष्यमित्र

कोरोना काल में जब थाली में दाल को भी तरस रहा था पूरा गांव, इन महिला किसानों ने छोटी सी जमीन पर किचन गार्डन लगा कर पूरे साल के लिए फल, सब्जियां और जड़ी बूटियों का इंतजाम किया और अपने पड़ोसियों की मदद भी की।

फिल्म बनाने बिहार आए डायरेक्टर, 300 मज़दूरों को रोज़गार देने के लिए बनवा रहे गोबर के गणेशजी

By पुष्यमित्र

लॉकडाउन में घर लौटे जो मजदूर खाली बैठे थे, वे अब रोजाना 450 से लेकर 1800 रुपए तक कमा रहे हैं।

कोरोना संकट में थैलासीमिया पीड़ित बच्चों तक ब्लड पहुंचा रहे हैं पटना के मुकेश हिसारिया

By पुष्यमित्र

चूंकि इनमें से ज्यादातर बच्चे गरीब परिवार से आते हैं, इसलिए उनके परिवार में इन दिनों खाने-पीने की भी दिक्कत हो रही है। वह उन्हें मुफ्त राशन भी उपलब्ध करा रहे हैं।

बिहार के इस गाँव में लोगों ने अपने प्रयास से शुरू किया क्वारंटीन सेंटर

By पुष्यमित्र

यहां बाहर से आये मजदूरों के रहने, खाने-पीने, साफ-सफाई और स्वास्थ्य जांच की मुकम्मल व्यवस्था है।

इस KBC विनर ने बिहार में एक साल में लगवा दिए 70 हजार से ज्यादा चंपा के पौधे

By पुष्यमित्र

महज कुछ साल पहले तक अपने इलाके में सुशील की पहचान 2011 में केबीसी के विनर के रूप में थी, जब उन्होंने पाँच करोड़ रुपए जीते थे। मगर अब सुशील चंपा वाले, पीपल और बरगद वाले हो गए हैं।

साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित यह चौकीदार कवि अपनी आधी सैलरी लगा देता है गरीब बच्चों की शिक्षा में

By पुष्यमित्र

पढ़िये एक चौकीदार कवि के संवेदनशील मन की कहानी, जिसने उसे अपनी सैलरी के पैसों से अपने इलाके के गरीब-वंचित बच्चों को निःशुल्क शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए प्रेरित किया!