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प्रीति टौंक

मूल रूप से झारखंड के धनबाद से आनेवाली, प्रीति ने 'माखनलाल पत्रकारिता यूनिवर्सिटी' से पत्रकारिता में मास्टर्स किया है। ऑल इंडिया रेडियो और डीडी न्यूज़ से अपने करियर की शुरुआत करने वाली प्रीति को, लेखन के साथ-साथ नयी-नयी जगहों पर घूमने और अपनी चार साल की बेटी के लिए बेकिंग करने का भी शौक है।

न डूबेगा, न ढहेगा! युवती ने बनाये ऐसे मकान, जिन्हें कहीं भी उठाकर ले जाना है आसान

By प्रीति टौंक

ओडिशा की स्वस्ति पटनायक ने अपने पिता की मदद से Fibre-Reinforced Plastic के किफायती और मजबूत पोर्टेबल घर बनाए हैं। मात्र तीन लाख रुपये में बना इनका 1BHK घर, भूकंप में भी रह सकता है सुरक्षित।

मुंबई वालों, क्या आपको पता है? आपके शहर के पास ही हैं, ये 10 शानदार वीकेंड डेस्टिनेशन

By प्रीति टौंक

अगर आप मुंबई में रहते हैं और यहां की दौड़ती-भागती जिंदगी से थक गए हैं, तो शहर के पास बसी इन खूबसूरत जगहों पर जाकर आपको यकीनन अच्छा लगेगा।

उगाते हैं काले गेहूं, नीले आलू और लाल भिंडी! खेती में अपने प्रयोगों से कमाते हैं बढ़िया मुनाफा

By प्रीति टौंक

भोपाल, मध्यप्रदेश के रहने वाले मिश्रीलाल राजपूत को, पिता की पारम्परिक खेती में कोई दिलचस्पी नहीं थी। यही कारण है कि वह, खेती में नए-नए प्रयोग करने लगे। इन प्रयोगों से न सिर्फ उनकी आय बढ़ी, बल्कि दूसरे किसानों को भी प्रेरणा मिली।

घर पर उगाएं 60 प्रकार के फल, 1000 से ज्यादा पौधे, जानिए कैसे करती हैं हर कोने का इस्तेमाल

By प्रीति टौंक

सूरत, गुजरात की दीप्ति पटेल के घर पर, 60 से अधिक प्रकार के फल-फूल और सब्जियों के 1000 से भी ज्यादा पौधे हैं।

कच्छ का यह परिवार सहेज रहा है 700 साल पुरानी कला, विदश तक पहुंचाएं खराद कालीन

By प्रीति टौंक

कच्छ के तेजशीभाई और उनका पूरा परिवार, आज भी हाथों से बुनकर बनाते हैं, कच्छ के प्रसिद्ध खराद कालीन।

मृत्यु के बाद भी रखा पिता की इच्छा का मान, कड़ी मेहनत से बगीचा बनाकर दिया पक्षियों को आसरा

By प्रीति टौंक

गुजरात के रजनीकांत कंसारा हमेशा से अपने घर पर एक बगीचा बनाना चाहते थे। उनके जाने के बाद उनके बेटे ने 'रजनी उपवन' बनाकर उनका सपना पूरा किया।

बैंक की नौकरी के साथ बने किसान, खुद उगाये कैक्टस और जूस बेचकर कमाए लाखों

By प्रीति टौंक

गुजरात के एक ग्रामीण बैंक में गार्ड की नौकरी करनेवाले संजय हथवाणी, आयुर्वेदिक जूस का बिज़नेस करते हैं। कैक्टस फ्रूट, जिसे पहले लोग जंगली फल समझकर फेंक दिया करते थे, उसके आयुर्वेदिक फायदों की जानकारी मिलते ही, उन्होंने इससे पार्ट टाइम बिज़नेस करने का फैसला किया।

रु. 300 की कबाड़ साइकिल को बदला सोलर साइकिल में, चलाने में नहीं आता एक पैसे का भी खर्च

By प्रीति टौंक

बचपन से ही विज्ञान में रूचि रखने वाले वड़ोदरा के 18 वर्षीय, बारहवीं के छात्र नील शाह ने एक सोलर साइकिल बनाई है। खास बात यह है कि साइकिल में लगे सोलर पैनल की मदद से इसकी बैटरी चार्ज होती है और यह आराम से एक ई-बाइक में बदल जाती है।