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प्रीति टौंक

मूल रूप से झारखंड के धनबाद से आनेवाली, प्रीति ने 'माखनलाल पत्रकारिता यूनिवर्सिटी' से पत्रकारिता में मास्टर्स किया है। ऑल इंडिया रेडियो और डीडी न्यूज़ से अपने करियर की शुरुआत करने वाली प्रीति को, लेखन के साथ-साथ नयी-नयी जगहों पर घूमने और अपनी चार साल की बेटी के लिए बेकिंग करने का भी शौक है।

अक्टूबर का महीना इन सब्जियों को लगाने के लिए है सबसे अच्छा

By प्रीति टौंक

सर्दियों की इन ख़ास सब्जियों को लगाने का सबसे अच्छा समय है अक्टूबर का महीना, तभी तो ठंड आते ही मिलेंगी ताज़ा सब्जियां।

9000 मजदूर महिलाओं को किसान बना, इस IIT कपल ने दी नई पहचान

By प्रीति टौंक

सिलीगुड़ी और जलपाईगुड़ी (पश्चिम बंगाल) के 32 से ज़्यादा गाँवों के हज़ारों बच्चों और महिलाओं को ‘Live Life Happily’ नाम का NGO शिक्षा और रोज़गार से जोड़ने का काम कर रहा है। पढ़ें IIT की पढ़ाई के बाद अनिर्बान और पौलमी नंदी को कैसे इसे बनाने का ख़्याल आया।

सिर्फ हॉबी नहीं बिज़नेस भी बन सकती है बचपन में सीखी कला, 57 वर्षीया निष्ठा से लें प्रेरणा

By प्रीति टौंक

मिलिए 57 वर्षीया निष्ठा सूरी से, जिन्होंने 55 की उम्र में जीवन की एक नई पारी की शुरुआत की और अपनी हॉबी को अपना बिज़नेस बना लिया। पढ़ें, उनके हैंडमेड होम डेकॉर बिज़नेस के बारे में।

द बेटर इंडिया की कहानी का असर: 35 बच्चियों को मिली मदद, दिवाली में छा गईं खुशियां

By प्रीति टौंक

देवघर (झारखंड) में रहनेवाले हरे राम पाण्डेय, 9 दिसम्बर 2004 से उन सभी बेटियों के पिता बनकर सेवा कर रहे हैं, जिन्हें उनके खुद के माता-पिता ने लावारिस छोड़ दिया था। जानिए कैसे द बेटर इंडिया की कहानी से उन्हें मिली मदद।

दिवाली में घर पर रहकर करना है एन्जॉय, तो परिवार के साथ OTT पर देखें ये पांच वेब सीरीज़

By प्रीति टौंक

दिवाली का त्योहार परिवार के साथ मानना है, तो मिलकर देख सकते हैं खुशियों से भरी ये पांच पारिवारिक वेब सीरीज़।

पुराने कपड़ों का क्या करें? इन पांच जगहों पर कर सकते हैं डोनेट

By प्रीति टौंक

दिवाली की सफाई के बाद, निकले पुराने कपड़ों को क्या करना है समझ नहीं आ रहा? तो इन पांच जगहों पर कर सकते हैं डोनेट।

कैसे बना एक किसान का बेटा गांव का 'स्टार्टअप बॉय'?

By प्रीति टौंक

मिलिए उत्तर प्रदेश के चिरोड़ी गांव के 25 वर्षीय मास्टर सचिन बैंसला से, जिन्हें एक समय पर स्टार्टअप शुरू करने के लिए ढेरों ताने सुनने पड़े थे। लेकिन आज उनका पूरा गांव उन्हीं के नाम से जाना जाता है। पढ़ें, इस युवा के सफलता की कहानी।

एक आश्रम और 300 बुज़ुर्ग- प्यार की तलाश में भटकते इस शख़्स की कहानी आपके दिल को छू जाएगी

By प्रीति टौंक

अडूर (केरल) के रहने वाले राजेश थिरुवल्ला ने अपना बचपन ग़रीबी में, माता-पिता के प्यार के बिना ही गुज़ार दिया। लेकिन आज वह एक नहीं, 300 बुज़ुर्गों के बेटे हैं और सबकी ज़िम्मेदारी बड़े प्यार से उठा रहे हैं। पढ़ें, महात्मा जनसेवा केंद्रम के संस्थापक राजेश थिरुवल्ला की कहानी।