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निशा डागर

बातें करने और लिखने की शौक़ीन निशा डागर हरियाणा से ताल्लुक रखती हैं. निशा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अपनी ग्रेजुएशन और हैदराबाद विश्वविद्यालय से मास्टर्स की है. लेखन के अलावा निशा को 'डेवलपमेंट कम्युनिकेशन' और रिसर्च के क्षेत्र में दिलचस्पी है.

उत्तराखंड: नौकरी के साथ अपने छोटे से खेत में जैविक खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं पवन!

By निशा डागर

एक एकड़ से भी कम ज़मीन में पवन ने दाल, रागी, चेरी टमाटर और लैटस जैसी सब्ज़ियों के साथ-साथ लगभग 150 फलों के पेड़ भी लगाएं हैं!

इको-टूरिज्म से बर्ड फेस्टिवल तक: पहाड़ों और जंगलों को सहेजता प्रकृति प्रहरी!

By निशा डागर

यहाँ आपको लगभग 200 किस्मों के पेड़-पौधों के साथ-साथ 125 किस्म की तितलियाँ, और 365 किस्म के पक्षी भी देखने को मिलते हैं!

हैदराबाद: हर दिन जंगल में पशु-पक्षियों के लिए 400 लीटर पानी भरते हैं 'बाबा' जहाँगीर!

By निशा डागर

अगर आप जहाँगीर से पूछेंगे कि आप इस काम को कब तक करते रहेंगे? तो वह मुस्कुराकर कहते हैं, "जब तक मैं जीवित हूँ।"

जॉब के साथ अपना व्यवसाय भी, 150 रुपये से शुरू कर पहुंची लाखों तक!

By निशा डागर

हर्षिता ने अपनी शुरूआत अपने दोस्तों के लिए पर्सनल स्केचबुक बनाने से की थी और अब वह ब्रांड्स को भी डिजाइनिंग सर्विसेज दे रही हैं!

मटका विधि: कम जगह और कम पानी में सब्ज़ियाँ उगाने का बेहतरीन तरीका!

By निशा डागर

पिछले 11 सालों से जैविक खेती कर रहे राजू राम राठौड़ कहते हैं कि जिन लोगों के पास ज़मीन कम है या फिर बिल्कुल नहीं है, वे इस विधि से सब्ज़ियाँ उगा सकते हैं!

#गार्डनगिरी: छत पर उगाई 7 किलो की पत्तागोभी और टमाटर की 40 देशी किस्में!

By निशा डागर

उमेद सिंह पिछले 12 सालों से गार्डनिंग कर रहे हैं और उनके यहाँ जो भी उपज होती है, वह उनके परिवार के साथ-साथ उनके पड़ोसियों और रिश्तेदारों के यहाँ भी जाती है!

खुद की नहीं है ज़मीन, फिर भी बसा दिया 'कटहल गाँव', लगा दिए 20 हज़ार पेड़!

By निशा डागर

अलग-अलग इलाकों में घूमकर और बीज आधारित पेड़ लगाकर, जयन ने अब तक कटहल की 44 देशी प्रजातियों को सहेजा है!

चिड़िया का टूटा घोंसला और अंडा देख शुरू की मुहिम, 6 सालों में उगाए 55 जंगल!

By निशा डागर

हाल ही में, उन्होंने पुलवामा शहीद वन भी तैयार किया है, जहां 40 शहीदों के नाम पर 40 हज़ार पेड़ लगाए गए हैं!

किसी ने ग्राहकों से जोड़ा, तो किसी ने तैयार की रेसिपीज़ और एक दिन में बिक गए 10 टन अनानास!

By निशा डागर

लॉकडाउन की वजह से जब किसानों को कोई बाज़ार नहीं मिल रहा था, तब बेंगलुरु के इन आम नागरिकों ने मिलकर इन किसानों की मदद की।