Powered by

Latest Stories

HomeAuthorsनिशा डागर
author image

निशा डागर

बातें करने और लिखने की शौक़ीन निशा डागर हरियाणा से ताल्लुक रखती हैं. निशा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अपनी ग्रेजुएशन और हैदराबाद विश्वविद्यालय से मास्टर्स की है. लेखन के अलावा निशा को 'डेवलपमेंट कम्युनिकेशन' और रिसर्च के क्षेत्र में दिलचस्पी है.

पहले खेती करतीं हैं, फिर उस फसल की प्रोसेसिंग घर पर कर मार्केटिंग भी करतीं हैं यह किसान!

By निशा डागर

जैविक खाद, जीवामृत बनाना हो या फिर गेहूं-बाजरे के उत्पाद, सभी काम उनके यहाँ हाथों से ही होता है!

मोहम्मद की छत पर मिलेंगे 400+ पेड़-पौधे, वो भी पुराने जूते, जींस और टूटे बर्तनों में!

By निशा डागर

मोहम्मद के घर से एक टूटा कप भी बाहर नहीं जाता है। हर एक पुरानी-बेकार चीज़ में वह पौधे लगाने की सोचते हैं!

बेटी की बीमारी ने बदली सोच, फैशन इंडस्ट्री में सुनहरा करियर छोड़, गाँव में करने लगे प्राकृतिक खेती!

By निशा डागर

"हर मुमकिन कोशिश करने के बाद भी हम अपनी बेटी को नहीं बचा पाए। इस दौरान हमें समझ में आया कि सिर्फ पैसे के पीछे भागना ही ज़िंदगी नहीं है।"

आटे और गुड से बनी क्रॉकरी, इनमें खाना खाइए और बाद में इन्हें भी खा जाइये!

By निशा डागर

आटावेयर कटलरी को शुरू करने वाले पुनीत का उद्देश्य पर्यावरण को बचाने के साथ-साथ गेहूं और गन्ने के किसानों से सीधा जुड़कर उनकी मदद करना भी है!

खेती के साथ प्रोसेसिंग और इको-टूरिज्म भी, किसानों के लिए रोल मॉडल है यह दंपति!

By निशा डागर

कान सिंह और सुशीला के घर के दरवाजे उन सभी लोगों के लिए खुले हैं जो खेती तो करना चाहते हैं, लेकिन उनके पास ज़मीन नहीं है।

गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में शामिल है सुनील दत्त की 'यादें'!

By निशा डागर

कलर फिल्मों के ज़माने में बनी यह 'ब्लैक एंड वाइट' फिल्म एक अलग ही रचनात्मक और क्रियात्मक सोच का परिणाम है।

असम: 21 वर्षीया छात्रा ने स्टोर को बनाया स्कूल, स्लम के बच्चों को मुफ्त में देती हैं शिक्षा!

By निशा डागर

जूली ने अपने घर में काम करने वाली दीदी के बेटे को पढ़ाना शुरू किया था, जब उन्हें महसूस हुआ कि स्लम में और भी बहुत बच्चे हैं, जिन्हें शिक्षा से जोड़ना ज़रूरी है!

छुट्टी वाले दिन लगाते हैं ताड़ के पौधे, इनके लगाए एक लाख पौधे अब बन चुके हैं पेड़!

By निशा डागर

एक वक़्त था जब ताड़ के पेड़ से सैकड़ों प्राकृतिक चीजें बनती थीं, जैसे इसके फल से मिठाई, पत्तों से टोकरी जैसे उत्पाद और तो और पहले ताड़ के पेड़ से ही चीनी बनाई जाती थी जो काफी पोषक हुआ करती थी! सतीश की इस कोशिश से जल्द ही वो दिन लौट आएंगे!

नहाने और कपड़े धोने के बाद बचने वाले पानी से, छत पर उगा रहे हैं धान!

By निशा डागर

मात्र 100 स्क्वायर फीट की इस छत पर खेती कर, विश्वनाथ सालभर में 100 किलो से भी ज़्यादा चावल उगा लेते हैं!