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निशा डागर

बातें करने और लिखने की शौक़ीन निशा डागर हरियाणा से ताल्लुक रखती हैं. निशा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अपनी ग्रेजुएशन और हैदराबाद विश्वविद्यालय से मास्टर्स की है. लेखन के अलावा निशा को 'डेवलपमेंट कम्युनिकेशन' और रिसर्च के क्षेत्र में दिलचस्पी है.

अंडमान: IFS अफ़सर की इको-फ्रेंडली पहल, प्लास्टिक की जगह बांस का इस्तेमाल!

By निशा डागर

अब विभाग पौधे उगाने के लिए प्लास्टिक की जगह फेंके हुए बांस के तनों का इस्तेमाल कर रहा है और उनके पास 20, 000 पौधे लगाने के लिए पर्याप्त बांस है!

रिक्शा चालक ने एक इनोवेशन से खड़ा किया अपना अंतरराष्ट्रीय कारोबार!

By निशा डागर

धर्मबीर (Dharambir Kamboj) बताते हैं कि उनकी बेटी सिर्फ़ 3 दिन की थी, जब वे दिल्ली के लिए निकले। आर्थिक तंगी इतनी थी कि गाँव से दिल्ली जाते वक़्त उनकी जेब में सिर्फ़ 70 रुपये थे, जिसमें से 35 रुपये किराए में खर्च हो गए।

बीमार-ज़रूरतमंद लोगों को अपने ऑटो से मुफ़्त में अस्पताल पहुंचता है यह ऑटो वाला!

By निशा डागर

सुनील अपने ऑटो में दिव्यांग और गरीब लोगों को 1.5 किलोमीटर तक मुफ़्त में सवारी देते हैं।

15 अगस्त पर खरीदिये ये बीजों वाले झंडे, देश के प्रति पौधा बनकर उपजेगा आपका प्रेम!

By निशा डागर

बीजों वाले इस झंडे को सीड पेपर से बनाया जाता है। सीड पेपर एक बायोडिग्रेडेबल पेपर होता है जिसमें अलग-अलग किस्म के बीज होते हैं। पेपर को मिट्टी में दबाने पर ये बीज अंकुरित हो जाते हैं और कुछ दिनों में ये पौधे बनने लगते हैं!

अनाथ बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए हर दिन शौचालय साफ़ करता है यह वेल्डर!

By निशा डागर

"मैं 12 साल का था जब मैंने पेपर मिल और वर्कशॉप में काम करना शुरू किया। मैं नहीं चाहता कि कोई भी बच्चा इस तरह की परेशानी झेले और अपने सपनों को छोड़ दे। इसलिए मैं जिस भी तरह से उनकी मदद कर सकता हूँ, करता हूँ।"

बैग भी डेस्क भी! IIT ग्रेजुएट के इनोवेशन से एक लाख गरीब बच्चों को झुककर बैठने से मिली राहत!

By निशा डागर

कई संगठन अपने सीएसआर के तहत यह डेस्किट खरीदकर ज़रूरतमंद छात्र-छात्राओं तक पहुंचा रहे हैं। इससे अब तक करीब 1 लाख बच्चों को यह डेस्किट मुफ़्त में बांटी जा चुकी हैं।

हर धागा कुछ कहता है: आपके रक्षाबंधन को ख़ास बनाएंगी ये 6 इको-फ्रेंडली राखियाँ!

By निशा डागर

देश में ऐसे बहुत से लोग हैं जो अपना हर कदम प्रकृति और पर्यावरण को सहेजने की दिशा में उठाते हैं। ऐसे ही कुछ नागरिकों ने शुरुआत की है इको-फ्रेंडली राखी बनाने की!