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निशा डागर

बातें करने और लिखने की शौक़ीन निशा डागर हरियाणा से ताल्लुक रखती हैं. निशा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अपनी ग्रेजुएशन और हैदराबाद विश्वविद्यालय से मास्टर्स की है. लेखन के अलावा निशा को 'डेवलपमेंट कम्युनिकेशन' और रिसर्च के क्षेत्र में दिलचस्पी है.

लखनऊ: मानसिक रोग की पीड़ा झेल चुके लोगों का सहारा है चाय की 'केतली'!

By निशा डागर

नवंबर 2016 में शुरू हुए इस संगठन का उद्देश्य मानसिक रोग की पीड़ा झेल चुके लोगों को अलग-अलग तरह की ट्रेनिंग देकर, उनके खोये आत्मविश्वास को वापस लाना और फिर उन्हें रोज़गार के अवसर प्रदान करना है।

MNC की नौकरी ठुकरा, उड़ीसा-बिहार के किसानों की ज़िंदगी बदलने में जुटा है यह IIT ग्रेजुएट!

By निशा डागर

'बैक टू विलेज' के साथ अब तक 5000 किसान रजिस्टर्ड हो चुके हैं। उनके काम को देखते हुए इस साल उन्हें ONGC कंपनी ने सीएसआर फंडिंग दी है!

'उल्टा छाता' : सौर उर्जा के साथ बारिश का पानी इकट्ठा करने वाला भारत का पहला रेलवे स्टेशन!

By निशा डागर

प्रत्येक कैनोपी का साइज़ 5x5 मीटर और वजन लगभग 120 किलो है। एक कैनोपी में 60 हज़ार लीटर पानी स्टोर करने की क्षमता है।

हर रविवार, हजारों बेघर-बेसहारा लोगों को मुफ़्त खाना खिलाता है यह ऑटो-ड्राईवर!

By निशा डागर

"मुझे अहसास हुआ कि आत्महत्या करना बहुत गलत है, जब मैं अपनी ज़िन्दगी दूसरों की मदद करते हुए गुजार सकता हूँ।"

कभी नहीं गये स्कूल; कचरे से चलने वाला इंजन बनाकर इस किसान ने खड़ा किया करोड़ों का कारोबार!

By निशा डागर

इस मशीन में एक किलो बायोवेस्ट डालने पर एक किलोवाट उर्जा उत्पन्न होती है, जिससे आप एक घंटे तक इंजन चला सकते हैं!

8वीं पास किसान इनोवेटर ने बनायीं सस्ती मशीने; ग्रामीणों को मिल रही अतिरिक्त आय

By निशा डागर

परेश को उनके इन आविष्कारों के लिए देश के चार राष्ट्रपति, एपीजे अब्दुल कलाम, प्रतिभा पाटिल, प्रणव मुखर्जी और रामनाथ कोविंद द्वारा सम्मानित किया जा चुका है!

IIT की दो छात्राओं ने बनाया कपड़े के पैड को साफ़ करने के लिए सस्ता डिवाइस!

By निशा डागर

एक महिला अपने जीवन में माहवारी के वर्षों के दौरान लगभग 125 किलोग्राम नॉन-बायोडिग्रेडेबल वेस्ट उत्पन्न करती है।

फ्लाईओवर के नीचे हर दिन 200 से भी ज़्यादा बच्चों को मुफ़्त में पढ़ाता है यह छात्र!

By निशा डागर

23 वर्षीय सत्येन्द्र पाल बीएससी फाइनल ईयर में है और अपनी पढ़ाई के साथ-साथ वे यहाँ पहली से लेकर दसवीं कक्षा तक के बच्चों को पढ़ाते हैं।

11 साल, 40 हज़ार पेड़ और एक 'पागल' हीरो: मिलिए चित्रकूट के ट्री-मैन से!

By निशा डागर

भैयाराम यादव की कड़ी मेहनत और विश्वास ने सूखाग्रस्त क्षेत्र कहे जाने वाले बुंदेलखंड की 50 एकड़ भूमि पर आज एक घना जंगल उपजा दिया है!

कैसे छत्तीसगढ़ का यह एक जिला बना रहा है 28 हज़ार महिलाओं और बच्चों को कुपोषण-मुक्त!

By निशा डागर

छत्तीसगढ़ धीरे-धीरे लेकिन स्थिरता से कुपोषण के मुद्दे को हल कर रहा है और झारखंड, राजस्थान, असम और ओडिशा जैसे अन्य राज्य, बेशक इससे सीख लेकर अपने यहाँ भी इस तरह की योजनायें और कार्यक्रम शुरू कर सकते हैं।