हैदराबाद के रहनेवाले धर्मेंद्र दादा बीते साल अप्रैल में, अपने दोस्त से मिलने के लिए बिहार के गया जिले के चौपारी गांव गए थे। इस दौरान, उन्होंने गांव में कुछ हंसों की दशा देख, उन्हें बेहतर आसरा देने के लिए चूना और सुरखी का इस्तेमाल कर एक तालाब बना दिया।
भारत की मॉबिलिटी टेक कंपनी ‘ईवेज’ (Evage) ने हाल ही में अमेरिका स्थित वेंचर कैपिटल फर्म, रेडब्लू कैपिटल से 28 मिलियन डॉलर जुटाए हैं। कंपनी फिलहाल, अमेजन इंडिया को Electric Truck की आपूर्ति कर रही है।
मध्य प्रदेश के पन्ना के रहनेवाले विजय कुमार चंसौरिया हाल ही में एक प्राइमरी स्कूल टीचर के पद से रिटायर हुए, उन्हें रिटायरमेंट में 40 लाख रुपये मिले, जिसे उन्होंने गरीब बच्चों की भलाई के लिए दान कर दिया।
गुजरात के राजकोट के रहनेवाले 13 वर्षीय निसर्ग त्रिवेदी को लॉकडाउन के दौरान, जब समय मिला तो उन्होंने अपने घर में पौधे लगाना शुरू कर दिया। आज उनके पास 300 से अधिक पौधे हैं, जो 15 तरह की तितलियों का घर हैं।
छत्तीसगढ़ के बस्तर के रहनेवाले दीना नाथ राजपूत, एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। लेकिन, 2018 से ‘भूमगादी महिला कृषक’ NGO के ज़रिए, वह 6000 से अधिक महिला किसानों की जिंदगी बदल चुके हैं।
उत्तर प्रदेश के जलालाबाद में Solar Atta chakki mill चलाने वाले मोहन ने अपने बिजनेस को सोलर सिस्टम के जरिए पूरी तरह से आत्मनिर्भर बना लिया, जिससे उन्हें हर महीने हजारों की बचत हो रही है।
गुजरात के पाटण में रहनेवाली तन्वी बेन और उनके पति एक प्राइवेट जॉब कर रहे थे। लेकिन दोनों ने अपनी नौकरी छोड़ जैविक खेती करने का फैसला किया और अब बड़े पैमाने पर मधुमक्खी पालन कर लाखों कमा रहे हैं।
केरल के कासरगोड के रहनेवाले देवकुमार नारायणन और उनकी पत्नी UAE में एक इंजीनियर के रूप में काम कर रहे थे। लेकिन, 2018 में उन्होंने नौकरी छोड़ अपने गांव में ‘पपला’ कंपनी की शुरुआत की, जिसके तहत वह सुपारी के पत्तों से कई इको-फ्रेंडली सामान बना रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के जलालाबाद में Solar Atta chakki mill चलाने वाले मोहन ने अपने बिजनेस को सोलर सिस्टम के जरिए पूरी तरह से आत्मनिर्भर बना लिया, जिससे उन्हें हर महीने हजारों की बचत हो रही है।