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पर्यावरण

खंडित मूर्तियों को बचाकर, बनाती हैं बच्चों के लिए खिलौने और घोंसले

By प्रीति टौंक

भगवान की खंडित मूर्ति और तस्वीर की अवहेलना होते देख, नासिक की तृप्ति गायकवाड़ ने अपने दोस्तों से साथ मिलकर शुरू किया प्रोजेक्ट संपूर्णम।

हर वीकेंड सड़कों की सफाई करते हैं यह इंजीनियर, 150 किलो प्लास्टिक कर चुके हैं जमा

By निशा डागर

महाराष्ट्र में भंडारा के रहनेवाले, राघव पिछले तीन महीनों से अपने घर और आसपास के प्लास्टिक के कचरे को इकट्ठा करके इसके सही प्रबंधन पर काम कर रहे हैं।

खेजड़ी पर 'ट्रीहाउस' और 2000 पेड़, थीम पार्क से कम नहीं इस रिटायर्ड फौजी का खेत

By निशा डागर

राजस्थान के नागौर जिला स्थित सिरसूं गाँव में रहनेवाले 50 वर्षीय रेंवत सिंह राठौड़ के खेत में 2000 से भी ज्यादा पेड़-पौधे हैं। उन्होंने एक खेजड़ी के पेड़ पर ट्रीहाउस भी बनाया है।

मिलिए मध्य प्रदेश के अमृत पाटीदार से, 36 सालों में सार्वजनिक जगहों पर लगा दिए 6 लाख पौधे

By प्रीति टौंक

अपने घर के आस-पास की जगहों पर तो सभी पौधे लगाते हैं, लेकिन मध्यप्रदेश के धार जिले के अमृत पाटीदार पिछले 36 सालों से सार्वजनिक जगहों पर पेड़ लगाने का काम कर रहे हैं।

पार्वती घाटी पर लगा था कचरे का ढेर, IFS अफसर की पहल से चंद महीनों में लौटी बहार

By प्रीति महावर

29 वर्षीय IFS ऑफिसर ऐश्वर्य राज ने हिमाचल प्रदेश में कसोल से लगभग 40 किमी दूर, पार्वती घाटी के दो दशक पुराने कचरे के ढेर को ग्रीन जोन में बदल दिया।

फल-सब्जियों और फूल-पत्तियों से बनाती हैं प्राकृतिक रंग, 3000+ लोगों को सिखाया

By निशा डागर

हैदराबाद की रहने वाली 29 वर्षीया मान्या चेराबुद्दी, एक नेचुरल कलर आर्टिस्ट और डिज़ाइनर हैं, जो प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल करके, Natural colors बनाती हैं।

अपनी ही ज़मीन से निकली मिट्टी से बनाया घर, लगाए 800 पेड़-पौधें, न AC, न कूलर, न बिजली बिल

By निशा डागर

तमिलनाडु में पोल्लाची के एक गाँव के रहने वाले रामचंद्रन सुब्रमणियन एक इको-फ्रेंडली घर में रहते हैं, जहाँ उनके बिजली और पानी का बिल एकदम जीरो आता है।

तवा से लेकर टेबल तक, इनका पूरा घर सजा है पुरानी बेकार चीज़ों से, आप भी सीखिए

By निशा डागर

बेंगलुरु की रहने वाली सुशीला राय एक होम बेकर और केक आर्टिस्ट हैं, लेकिन इसके साथ ही, उनके जानने वाले उन्हें 'जुगाड़ क्वीन' भी कहते हैं क्योंकि, पुरानी-बेकार चीजों को नया रूप देकर फिर से इस्तेमाल में लेने में वह माहिर हैं।

बच्चों की पहल, घर घर प्लास्टिक इकट्ठा कर, बना दिए पब्लिक बेंच

By निशा डागर

फरीदाबाद में ऑटो पिन स्लम में रहने वाले 20-25 बच्चों ने पहले साथ में मिलकर प्लास्टिक की खाली-बेकार पड़ी बोतलों और अन्य कचरे से 300 से भी ज्यादा 'इको ब्रिक' बनाई हैं और इन इको ब्रिक का इस्तेमाल उन्होंने अपने स्लम में 'इको बेंच' बनाने के लिए किया है।