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पक्षियों के लिए समर्पित की दो एकड़ जमीन, आते हैं 93 तरह के पक्षी

By निशा डागर

कर्नाटक में दक्षिण कन्नडा के रहने वाले नित्यानंद शेट्टी और उनकी पत्नी रम्या ने अपनी दो एकड़ जमीन पक्षियों के लिए समर्पित कर दी है। उनके लिए घोंसले, दाना-पानी की व्यवस्था करने के साथ-साथ दूसरों को कर रहे हैं जागरूक।

मिसाल हैं यह रिटायर्ड आर्मी मैन, 7 ग्राम पंचायत में लगा चुके हैं 20 हजार पौधे

By निशा डागर

ओडिशा में जाजपुर के, खिरोद जेना पिछले 16 सालों से पेड़-पौधे लगा रहे हैं और अब तक सात ग्राम पंचायतों के गांवों में 20 हजार पौधे लगा चुके हैं।

IFS अफसर की बढ़िया तरकीब, 4900 किलो प्लास्टिक से कमाए रु. 59000 और गाँव को दी सुविधाएँ

By निशा डागर

मध्य प्रदेश में सतना जिले के मैहर उप वन मंडल में नियुक्त IFS अधिकारी अनुपम शर्मा की एक पहल से, वन विभाग ने 4900 किलो प्लास्टिक से रु. 59000 की कमाई की है।

राम मास्टर: 15 किमी तक रास्ते के किनारे लगाए हज़ारों पौधे, पेड़ बनने तक दिया पिता जैसा स्नेह

By निशा डागर

ओडिशा में बारगढ़ के रहने वाले 77 वर्षीय राम चंद्र साहू रिटायर्ड शिक्षक हैं और पिछले लगभग 40 सालों से लगातार पौधरोपण कर रहे हैं।

किराए के घर में भी लगा सकते हैं सोलर सिस्टम, इनकी तरह होगी बचत ही बचत

By निशा डागर

फरीदाबाद में किराये पर रह रहे घनश्याम मिश्रा ने मिनी सोलर सिस्टम लगवाकर हल की बिजली कटौती की परेशानी। बिजली बिल में भी हो रही है बचत।

सेकंड हैंड कपड़े, जूते इस्तेमाल करने से प्लास्टिक रीसायकल तक, इनसे सीखें कम में बेहतर जीना

By निशा डागर

मुंबई की फ़िज़ियोथेरेपिस्ट मीरा शाह पिछले कई सालों से जीरो वेस्ट लाइफस्टाइल के लिए प्रयासरत हैं।

3000 पेड़-पौधे लगाकर, इस प्रिंसिपल ने बंजर जमीन को बना दिया 'फ़ूड फॉरेस्ट'

By निशा डागर

डॉ. शशिकांत दाश, पुदुचेरी के टैगोर सरकारी कॉलेज के प्रिंसिपल हैं और पिछले चार सालों में उन्होंने कॉलेज के कैंपस में 3000 पेड़-पौधे लगाए हैं।

इनके बिजली बिल में हो गयी है 40% की कटौती, जानना नहीं चाहेंगे, कैसे?

By निशा डागर

बेंगलुरु में रहने वाले एन. रामकृष्णन बता रहे हैं कि रिटायरमेंट के बाद, जब आपकी नियमित आमदनी नहीं होती, तब आप कौनसे छोटे-छोटे कदम उठाकर, अपना खर्चा कम कर सकते हैं।

इन छात्रों ने मिलकर प्लास्टिक के कचरे से बनाया बेसहारा जानवरों के लिए घर

By निशा डागर

पढ़िए कैसे घरों से निकलने वाले प्लास्टिक के कचरे को इकट्ठा कर बेसहारा जानवरों के लिए बनाया घर।

मंदिर में पड़े फूल-पत्तियों से खाद बनाकर, सार्वजनिक जगहों पर लगाते हैं पौधे

By प्रीति टौंक

पेशे से वकील दिल्ली के देवराज अग्रवाल एक प्रकृति प्रेमी हैं। उन्होंने बेकार पड़े सूखे पत्तों और भगवान पर चढ़नेवाले फूलों के सही इस्तेमाल के लिए पौधे उगान शुरू कियाा और अब तक वह सार्वजनिक जगहों और पार्क में सैकड़ों पौधे लगा चुके हैं।