Powered by

Latest Stories

Homeपर्यावरण

पर्यावरण

77 वर्षीया दादी ने घर में लगवाई बायोगैस यूनिट, LPG Cylinder पर खर्च हुआ आधा

By प्रीति महावर

पुणे निवासी, विमल दिघे का परिवार पिछले 16 वर्षों से खाना पकाने के लिए बायोगैस का उपयोग कर रहा है, जिससे उनके LPG Cylinder पर होने वाला खर्च आधा हो गया है।

4 इलेक्ट्रिक वाहन करते हैं चार्ज, फिर भी बिजली बिल रु.5000 से घटकर हुआ रु.70, जानिए कैसे

By निशा डागर

पुणे के रहने वाले अभिषेक माने और उनका परिवार पिछले 4 सालों से घर में बिजली की आपूर्ति तथा अपने चार इलेक्ट्रिक वाहन चार्ज करने के लिए, सौर ऊर्जा का इस्तेमाल कर रहे हैं। महीने में उनका बिजली बिल सिर्फ 70 रूपये आता है।

Shark Solar Panel: कम जगह में अधिक बिजली, जानिए इस अनोखे सोलर पैनल के बारे में

फरीदाबाद के एक सोलर स्टार्टअप, लूम सोलर ने हाल ही में शार्क पैनल लॉन्च किया है, जिसे घर में इस्तेमाल करके बिजली बिल से छुटकारा पाया जा सकता है।

जानिए कैसे 14 साल के ऋषभ की एक पहल ने बचाया 70 लाख लीटर पानी

By निशा डागर

बेंगलुरु के 9वीं कक्षा के छात्र, 14 वर्षीय ऋषभ प्रशोभ, पिछले दो सालों से जल-संरक्षण पर काम कर रहे हैं और एक साल में वह 70 लाख लीटर पानी बचाने में सफल हुए हैं।

ओडिशा: अपनी जेब से पैसे खर्च कर, उगाएं 20 हरे-भरे जंगल

By निशा डागर

ओडिशा के जगतसिंहपुर और केंद्रपाड़ा जिले के गांवों में रहने वाले इंजीनियर, अमरेश नरेश ने पिछले 25 सालों में 20 मिनी जंगल उगाएं हैं।

धमकियों से डरे बिना, महिला वन अधिकारी ने रोकी पैंगोलिन की तस्करी, UN से मिला सम्मान

By निशा डागर

डिवीज़नल वन अधिकारी के रूप में ओडिशा की सस्मिता लेंका ने अथागढ़ और खुनपुनि के जंगलों में पैंगोलिन तस्करों के एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का भंडाफोड़ करने में मदद की, और 28 तस्करों के खिलाफ कार्यवाई करते हुए, 5 पैंगोलिनों को बचाया।

लुप्त हो रहीं पेड़-पौधों की 400 प्रजातियों को सहेज, शहरों में लगा दिए 25 घने जंगल

By निशा डागर

नासिक, महाराष्ट्र के रहने वाले मोहम्मद दिलावर ने पेड़-पौधों की 400 देसी प्रजातियों को सहेजकर, मुंबई, पुणे, पालघर और नासिक में 25 घने जंगल उगाए हैं।

इस शख्स के प्रयासों से बिहार बना गरूड़ों का आशियाना, जानिए कैसे

बिहार के भागलपुर स्थित मंदार नेचर क्लब के संस्थापक अरविंद मिश्रा 2006 से क्षेत्र में बड़े गरूड़ों के संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए संघर्षरत हैं। उनके प्रयासों से यहाँ इस संकटग्रस्त प्रजाति की संख्या 78 से 600 तक पहुँच गई है।

वह मशहूर कवयित्री जिन्होंने एक वर्षा वन को बचाने के लिए छेड़ी देश की सबसे ऐतिहासिक आंदोलन!

ऐतिहासिक सेव साइलेंट वैली आंदोलन के दौरान मराठिनु स्तुति (Ode to a Tree) नाम की एक कविता इस आंदोलन की पहचान बन गई। इस कविता को आवाज सुगत कुमारी ने दी थी, जो इस आंदोलन का नेतृत्व भी कर रही थीं।

#KnowYourPalm: सस्टेनेबल ऑयल पहचानने में हो रही परेशानी? इन कंपनियों के पास है जवाब

#KnowYourPalm: एक उपभोक्ता और सक्रिय हितधारक के तौर पर, यह हमारा दायित्व है कि हम पाम ऑयल से बने उत्पादों को ज़िम्मेदारी के साथ मंगाएं और इसका इस्तेमाल करें।