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Home प्रेरक महिलाएं पिता ने पकड़ा बिस्तर तो बिंदुप्रिया बनीं नाई, लोगों के ताने सुने पर सैलून बंद नहीं किया

पिता ने पकड़ा बिस्तर तो बिंदुप्रिया बनीं नाई, लोगों के ताने सुने पर सैलून बंद नहीं किया

हैदराबाद के छोटे से गाँव की रहनेवालीं एम. बिंदुप्रिया बीबीए की छात्रा हैं, लेकिन उनके बारे में ख़ास बात यह है कि पढ़ाई के साथ-साथ वह अपने पिता की नाई की दुकान अकेले संभालती हैं। इस काम को करते हुए उन्हें लोगों के विरोध और ताने भी झेलने पड़ते हैं। लेकिन उनकी प्राथमिकता एक ही है, अपना परिवार चलाना।

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Bindupriya at salon serving a customer

आपने कभी किसी लड़की को सैलून में पुरुषों के बाल काटते या उनकी दाढ़ी बनाते देखा है? आज हम आपको एक ऐसी साहसी लड़की बिंदुप्रिया के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने परिस्थितियों को देखते हुए न केवल अपने पिता की नाई की दुकान संभाली, बल्कि लोगों के तानों और विरोध का डटकर सामना भी किया। हैदराबाद स्थित भद्राद्री कोठागुडम जिले के मोंडीकुंता गाँव में रहने वाली एम. बिंदुप्रिया बीबीए की छात्रा हैं। हर रोज़ बिंदुप्रिया दोपहर तक अपनी पढ़ाई ख़त्म कर लोगों के बाल काटते, शेविंग करते दिखती हैं। संडे और छुट्टी के दिनों में वह सुबह नौ बजे से शाम साढ़े छह बजे तक दुकान पर काम करती हैं।

द बेटर इंडिया से बात करते हुए बिंदुप्रिया ने बताया कि अपने काम के लिए उन्हें लोगों से अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिलती है। उन्हें आज भी ताने सहने पड़ते हैं। लेकिन इसके बावजूद उनकी प्राथमिकता अपने परिवार की देखभाल और उनके राशन-पानी की व्यवस्था करना है, इसलिए वह किसी बात पर ध्यान नहीं देतीं।

Bindupriya

केवल 12 साल की उम्र से संभाल रहीं हैं पिता की नाई की दुकान

बिंदुप्रिया बताती हैं, "साल 2015 में पिता राजेश को ब्रेन स्ट्रोक आया था। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। यह कोई एक दो दिन की बात नहीं थी। पिता की देख-रेख के साथ ही घर को भी चलाना था। उस समय मेरी उम्र केवल 12 साल थी। हमारे घर का ख़र्च पिता की दुकान से ही चलता था। हम लंबे समय तक दुकान बंद नहीं रख सकते थे। लोग क्या कहेंगे यह सोचकर बैठा नहीं जा सकता था। मैंने एक दिन सुबह-सुबह दुकान खोलने का फैसला किया और रेज़र, कैंची को अपना औज़ार बना लिया। ग्राहकों के बाल काटने लगी, शेव करने लगी।"

बाल काटना, शेव करना किससे सीखा?

Bindupriya with her father Rajesh
पिता राजेश के साथ बिंदुप्रिया

बिंदु बताती हैं कि वे तीन बहने हैं। घर में वह सबसे छोटी हैं। पिता के लिए वह अक्सर लंच लेकर दुकान जाया करती थीं। वहां पिता को बड़े ध्यान से लोगों के बाल काटते और शेव करते देखतीं। इस तरह देख-देखकर 11 साल की उम्र में ही उन्होंने यह काम करना सीख लिया था। बिंदुप्रिया कहती हैं कि उन्हें इस बात का बिलकुल अंदाज़ा नहीं था कि आगे चलकर उन्हें पिता की जगह यह दुकान खुद संभालनी पड़ेगी।

बिंदुप्रिया के लिए पिता का छोटा सा सैलून चलाना कितना मुश्किल था?

बिंदु कहती हैं कि परिस्थितियां इंसान को कई बार वह काम करने के लिए मजबूर कर देती हैं, जो समाज में स्वीकार्य नहीं होता। वह कहती हैं कि उन्हें भी आसानी से स्वीकार नहीं किया गया। लोगों ने कभी किसी लड़की को पुरुषों के बाल काटते, दाढ़ी बनाते नहीं देखा था। ऐसे में उन्हें जानने वालों, मोहल्ले वालों के विरोध का सामना करना पड़ा। उनके ताने झेलने पड़े। कई बार दुकान पर आने वाले ग्राहक भी ऐसा कमेंट कर देते, जिसे उचित नहीं कहा जा सकता।

लेकिन बिंदु ने कभी लोगों की बात पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया। वह कोई ग़लत काम तो नहीं कर रहीं थीं। वह कहती हैं कि उनके आस-पड़ोस में ही ऐसे कई लोग हैं, जो आज भी उनके इस काम को सही नहीं मानते। वे नाई की दुकान चलाने को पुरुषों का काम बताते हुए विरोध करते हैं।

लेकिन बिंदु के मुताबिक़ उनके लिए लोगों के तानों के बारे में नहीं, बल्कि परिवार का भला सोचना सबसे ज़रूरी है।

बीबीए की छात्रा बिंदु की आगे की क्या योजना है?

इस वक्त उस्मानिया विश्वविद्यालय में बीबीए के फाइनल ईयर की पढ़ाई कर रहीं एम. बिंदुप्रिया आगे चलकर एक आईपीएस यानी भारतीय पुलिस सेवा की अधिकारी बनना चाहती हैं। वह एक पुलिस अफ़सर बनकर समाज में बदलाव लाने का सपना देखती हैं।

Bindupriya who is managing her father's salon

बिंदुप्रिया को उनके हौसले के लिए यूथ आइकॉन अवार्ड से भी नवाज़ा जा चुका है। वह बताती हैं कि एक प्राइवेट कंपनी के चेयरमैन की पहल पर, कंपनी ही उनकी पढ़ाई का ख़र्च उठा रही है।

नाई की दुकान से हर रोज़ 300 रूपए कमाती हैं बिंदुप्रिया

बिंदुप्रिया बताती हैं कि उन्हें अपनी दुकान से हर रोज़ लगभग 300 रूपए की इनकम हो जाती है। यह बहुत ज़्यादा तो नहीं है, लेकिन घर के राशन का जुगाड़ इससे हो जाता है। बिंदु के अनुसार पिता का इलाज सरकारी अस्पताल में हो रहा था, अब उनकी हालत में काफ़ी सुधार है। लेकिन वह अभी इस लायक नहीं हैं कि काम संभाल सकें। उन्हें अभी काफ़ी देखभाल की ज़रूरत है। बिंदुप्रिया की माँ का देहांत को चुका है। उनकी एक बड़ी बहन हैं, जिनकी शादी हो चुकी है और दूसरी बहन पोस्ट ग्रेजुएशन कर चुकी हैं। बिंदु फिलहाल घर की अकेली कमाने वाली सदस्य हैं।

Bindupriya who is managing her father's salon
अपने सैलून में काम करते हुए बिंदुप्रिया

"आपकी सफलता ही नकारात्मक बातें करने वालों के लिए जवाब है"

बिंदुप्रिया कहती हैं, "जो लोग आपको ज़िंदगी में पीछे खींचते हैं, आपके काम के बारे में नेगेटिव बातें करते हैं और आपके बारे में समाज में उल्टी-सीधी बातें फैलाते हैं, उन्हें कुछ कहने की ज़रूरत नहीं। आपकी सफलता ही ऐसे लोगों के लिए सही जवाब होता है।"

बिंदु और लड़कियों को भी अपने काम, अपने लक्ष्य पर फ़ोकस करने और लोगों की बातों पर ध्यान न देने की सलाह देती हैं।

संपादन - भावना श्रीवास्तव

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