नोएडा के प्रदूषण और गर्मी में भी आलिया वसीम का घर रहता है किसी हिल स्टेशन जैसा ठंडा और घर आने वाला कोई भी मेहमान इसकी तारीफ किए बिना नहीं रहा पता। जानिए कैसे किया उन्होंने यह कमाल!
बोकारो की रेशमा रंजन को बचपन में उनके नाना-नानी ने पौधे उगाना सिखाया था। लेकिन आज वह सोशल मीडिया के जरिए लाखों लोगों को गार्डनिंग सिखाकर महीने के लाखों रुपये कमा रही हैं।
रांची के मनोज रंजन को बचपन से ही गार्डनिंग का शौक था। लेकिन शहर में नौकरी की वजह से उनका परिवार रांची आ गया और यहां पौधे लगाने की जगह नहीं थी। लेकिन पिछले पांच सालों से, उन्होंने घर के बाहर रोड साइड पौधे लगाना शुरू किया और आज 200 से ज्यादा पौधे उगाकर हरियाली फैला दी है।
नींबू के दाम आसमान छू रहे हैं। लेकिन, गर्मियां हैं और नींबू पानी के बगैर काम चलाना भी मुश्किल है। यही वजह है कि बहुत से लोग अपने घर में ही नींबू उगाना चाह रहे हैं। लेकिन इसमें भी समस्या शहरों में रहने वाले लोगों को है, जिनके पास जगह की कमी है। लेकिन अगर आप चाहें तो आप अपने घर की बालकनी या टेरेस पर गमले में नींबू उगा सकते हैं।
लखनऊ में रहनेवाले रेलवे अधिकारी राजीव कुमार को गार्डनिंग से इतना प्यार है कि आज तक वह जहां भी रहें, वहां ढेरों पौधे लगाते रहें। उन्होंने अपना गार्डन लैंडस्केपिंग करके इतना सुन्दर सजाया है कि उन्हें इसके लिए हमेशा अवॉर्ड भी मिलते रहते हैं।
देहरादून के औली रायपुर गांव के शोभित ममगई और उनकी माँ सुषमा ममगई ने लॉकडाउन के दौरान गार्डनिंग करने की सोची और सिर्फ दो सालों में फूलों के करीब 200 पौधे लगाकर अपने घर को एक सुन्दर आशियाना बना दिया।
सूरत के डॉक्टर दम्पति जिगना और राहुल शाह के टेरेस गार्डन में सब्जियां और फल का उत्पादन किसी खेत से कम नहीं होता, क्योंकि उन्होंने बेहतर पोलीनेशन के लिए छत पर सरसों के पौधे भी उगाए हैं।