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अक्सर 60 साल की उम्र के बाद लोग आराम करने की सोचने लगते हैं। उन्हें लगता है कि अब क्या करना है? बच्चे सेटल हो गए, अब तो आराम ही आराम है। कई बार इस उम्र के इस पड़ाव में लोग अपनी फिजिकल एक्टिविटी भी बिल्कुल ही कम कर देते हैं और इस वजह से उन्हें बहुत-सी बीमारियाँ होने लगती हैं।
इसलिए 'फिटनेस' सिर्फ युवाओं के लिए नहीं बल्कि बुजुर्गों के लिए भी ज़रूरी है। साथ ही, ज़िंदगी की इस दूसरी पारी को आप वह सब करने में लगा सकते हैं, जो जिम्मेदारियों की वजह से कहीं पीछे छूट गया। आज हम आपको ऐसी ही एक महिला से मिलवा रहे हैं, जिनकी उम्र 63 बरस है लेकिन इस उम्र में भी वह आर्ट एंड क्राफ्ट से लेकर गार्डनिंग तक कर रही हैं।
तिलोत्तमा लोकरे और उनके पति जयजी राव लोकरे पिछले दो दशकों से इंदौर में रह रहे हैं। जयजी राव पुलिस विभाग से सेवानिवृत्त हैं और तिलोत्तमा गृहिणी। वह पिछले 15 बरसों से गार्डनिंग कर रही हैं। पहले उन्हें फूलों के पेड़-पौधे लगाने का काफी शौक था लेकिन पिछले कुछ समय से वह मौसमी सब्ज़ियाँ भी उगा रही हैं। उनका दिन सुबह सैर और योग से शुरू होता है और इसके बाद वह घर के बाकी सभी काम निपटाती हैं।
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गार्डनिंग के साथ-साथ उन्हें सिलाई-कढ़ाई, पेंटिंग करना और कुछ न कुछ #DIY करते रहना पसंद है। वह कहती हैं कि इस सबमें उन्हें पता भी नहीं चलता कि कब वक़्त गुज़र जाता है। इससे उन्हें कभी अकेलापन भी नहीं लगता। बल्कि वह हमेशा कुछ न कुछ नया ट्राई करती रहती हैं। कभी अपनी पुरानी साड़ियों को नया रूप देती हैं तो कभी घर के पुराने अख़बारों से कोई नयी चीज़ बना देती हैं।
"मैंने सिलाई-कढ़ाई का कोर्स किया हुआ है। अभी मैं कुशन कवर वगैरह खुद बनाती हूँ। साथ ही, पिछले कुछ वक़्त से #DIY करने का शौक भी हुआ है तो मैं वेस्ट मटेरियल से कुछ न कुछ बनाती रहती हूँ," उन्होंने बताया।
बहुत ही कम खरीदनी पड़तीं हैं सब्ज़ियाँ:
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तिलोत्तमा बताती हैं कि हर मौसम में उनके पास पर्याप्त सब्ज़ियाँ हो जाती हैं। वह बाजार से बहुत ही कम सब्जी खरीदती हैं। वह टमाटर, बैंगन, पालक, धनिया, कद्दू, बरबटी (लोबिया), बीन्स, पुदीना, आदि सभी तरह की साग-सब्ज़ियाँ उपजाती हैं। खुद घर में खाद बनाती हैं और खुद ही जैविक तरीकों से कीट प्रतिरोधक तैयार करती हैं।
"मेरे बच्चे बाहर रहते हैं। हम भी साल में कभी-कभी उनके पास जाते हैं तो गार्डन का ख्याल रखने के लिए कोई नहीं होता। इसलिए हमने तय किया कि हम केवल मौसमी सब्जी पर ज़्यादा ध्यान देंगे," उन्होंने कहा।
उनके घर में 15 साल पुराने निम्बू के पेड़ हैं और लगभग 100 पेड़-पौधे हैं। उन्होंने कहा, "हमने इस घर को इसी हिसाब से बनवाया था कि गार्डनिंग के लिए जगह मिल सके। अभी हमारे घर में पर्याप्त जगह है।"
अपने पेड़-पौधों का ध्यान रखने में तिलोत्तमा जरा भी कौताही नहीं करती हैं। गर्मियों में सुबह-शाम पानी देने से लेकर ज्यादा धूप से बचाने के लिए वह नेट लगाती हैं। फिर समय-समय पर इनकी मिट्टी बदलना, खाद डालना और कम-ज्यादा पानी का ध्यान रखना, यह सब काम वह खुद करती हैं।
इसके साथ ही वह अपने गार्डन को आकर्षक बनाने के लिए कभी पुराने डिब्बों से गमले बनाती हैं तो कभी पुरानी जींस आदि का इस्तेमाल करती हैं। गार्डनिंग के शौक के कारण ही उन्होंने खुद घर पर खाद बनाना शुरू किया। वह अपने किचन के कचरे से खाद बनाती हैं।
सोलर कुकर का भरपूर इस्तेमाल:
तिलोत्तमा बताती हैं कि पिछले कई साल से वह कुकिंग के लिए सोलर कुकर का इस्तेमाल कर रही हैं। दाल-चावल, दलिया से लेकर केक तक, सभी कुछ इसमें बनाती हैं। वह कहती हैं, "मैं सोलर कुकर की फैन हूँ। इसमें कोई भी चीज़ जलती नहीं है और यह बहुत ही किफायती पड़ता है। रवा भूनने से लेकर दाल-सब्ज़ी आदि बनाने तक इसका अच्छा इस्तेमाल है। मैं नियमित तौर पर इसका इस्तेमाल करती हूँ।"
उनके घर में लगभग 8-9 महीने सोलर कुकर का इस्तेमाल होता है। सिर्फ बारिश या फिर सर्दियों में कोहरे वाले दिन वह इसमें खाना नहीं पका पातीं। अन्यथा वह हर दिन इसमें कुछ न कुछ पकातीं हैं। इससे उनकी गैस का खर्च भी काफी बचता है और उनके लिए यह बहुत ही अच्छा अनुभव है।
तिलोत्तमा अपने किसी भी काम के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं रहतीं। ढलती उम्र में खुद को वह सभी तरह की शारीरिक गतिविधियों में लगाए रखतीं हैं और इसी वजह से उनकी सेहत भी अच्छी रहती है।
करती हैं #DIYs:
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तिलोत्तमा को आर्ट एंड क्राफ्ट का बहुत ही शौक है। घर पर वह थैले, मास्क, कुशन कवर आदि वह खुद ही सिलती हैं। इसके अलावा, वह पेपरमैशे से भी काफी सारी चीजें बनातीं हैं, जैसे कोस्टर, टोकरी आदि।
"खाली बैठे रहने से अच्छा है कि मैं कुछ न कुछ सीखती रहूँ। मैंने हर दिन नए-नए तरीकों से कोई न कोई चीज़ बनाती हूँ। पुरानी शर्ट से तकियों के कवर बनाये हैं तो अखबार से ज्वेलरी आदि बनाई है। मैंने अपना फेसबुक पेज भी शुरू किया है, एक गार्डनिंग के लिए और एक 'तिलोत्तमा आर्ट' के नाम से। इन दोनों पेज पर मैं हर रोज़ कुछ न कुछ शेयर करती रहतीं हूँ," उन्होंने कहा।
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कोरोना महामारी के दौरान भी उन्होंने लोगों के लिए बहुत से मास्क सिलकर दिए और साथ ही, सबको योग-व्यायाम और गार्डनिंग जैसी गतिविधियाँ करते रहने की सलाह दी। वह कहतीं हैं कि बहुत से लोगों के लिए लॉकडाउन परेशानी का सबब बन गया था पर उन्हें तो पता ही नहीं चलता था कि दिन कैसे गुज़ार गया।
उन्होंने खुद को तरह-तरह के कामों में व्यस्त कर लिया जिससे उनका शरीर और मन, दोनों ही खुश रहें। तिलोत्तमा खुद को हर तरह की नकारात्मकता से दूर रखते हुए अपनी शारीरिक और मानसिक सेहत का पूरा ख्याल रखतीं हैं। शायद यही वजह है कि उनका व्यक्तित्व इतना सौम्य और प्रभावी है।
इस उम्र में भी हर दिन कुछ नया सीखने और करने का जज़्बा रखने वाली तिलोत्तमा को द बेटर इंडिया सलाम करता है। आप उन्हें उनके फेसबुक पेज के ज़रिए संपर्क कर सकते हैं!
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