Powered by

Home गार्डनगिरी रेन लिली की एक-दो नहीं, बल्कि 200 किस्में हैं प्रशांत के पास, जानें कैसे करते हैं देखभाल

रेन लिली की एक-दो नहीं, बल्कि 200 किस्में हैं प्रशांत के पास, जानें कैसे करते हैं देखभाल

मुज़फ्फरनगर (उत्तरप्रदेश) के प्रशांत शर्मा को अपनी दादी और पापा से गार्डनिंग का शौक़ मिला था। आज उनके घर में विदेशी किस्मों के कई फूल खिलते हैं, रेल लिली का उनके पास जो कलेक्शन है, वह तो शायद ही किसी के पास होगा।

New Update
Rain lily garden (1)

वह कहते हैं न शौक़ बड़ी चीज़ है और पौधों के शौक़ीन लोगों की तो बात ही निराली होती है। अपने पसंद के रंग और किस्म का पौधा उगाने व खरीदने के लिए वे हर तरह के प्रयास करने को तैयार रहते हैं। ऐसे ही पौधों के शौक़ीन एक शख्स हैं, मुज़फ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) के प्रशांत शर्मा। उन्होंने अपने शौक़ के कारण पिछले आठ सालों में अपने घर को एक छोटा सा रेन लिली गार्डन बना दिया है।

उनके पास आज देसी और विदेशी किस्मों की 200 से ज्यादा रेन लिली के पौधे हैं, जिन्हें उन्होंने सोशल मीडिया और देश की अलग-अलग नर्सरी से इकठ्ठा किया है। 

प्रशांत कहते हैं, “जून से अक्टूबर तक मेरे गार्डन में जब ये रेन लिली खिलते हैं, तब इन्हें देखकर हम सभी का मन खुश हो जाता है और इन फूलों की सबसे अच्छी बात यह है कि इन्हें ज्यादा देखभाल की ज़रूरत नहीं पड़ती।"

दादी और पिता से विरासत में मिली गार्डनिंग 

prasahnt and his lily garden
Prasahnt And His Lily Garden

प्रशांत के घर में बचपन से ही एक गार्डन हुआ करता था। पहले उनकी दादी और फिर उनके पिता को गार्डनिंग का शौक़ था। उनके पिता ने भी कुछ साल पहले गुलाब की ढेरों किस्में उगाई थीं। लेकिन अपनी स्वास्थ्य संबधी दिक्कतों के कारण उन्होंने धीरे-धीरे गार्डनिंग करना कम कर दिया, जिसके बाद गार्डन की देखभाल प्रशांत और उनकी बहन करने लगे। 

उस दौरान प्रशांत एम कॉम और एम एड की पढ़ाई कर रहे थे और मुज़फरनगर के ही एक इंटर कॉलेज में पढ़ाते भी थे। लेकिन फिर पिता की तबियत ख़राब होने के कारण उन्हें नौकरी छोड़कर पिता के साथ बिज़नेस में हाथ बंटाना पड़ा। 

प्रशांत कहते हैं, “मेरी माँ, पिता की देखभाल में बिजी रहती थीं और हम दोनों भाई-बहन अपनी पढ़ाई और काम में। इसलिए हमने ऐसे पौधे रखने शुरू किए, जिन्हें ज्यादा देखभाल की ज़रूरत न पड़े।"

अपने लिली के शौक़ के बारे में बात करते हुए प्रशांत ने बताया कि साल 2014 में वह अपनी बुआ के इलाज के लिए चंडीगढ़ गए थे और वहीं से उन्होंने पहला लिली का पौधा लिया था।

खुद विकसित कीं रेन लिली की दो किस्में

Lily Plants On Terrace Garden
Lily Plants On Terrace Garden

प्रशांत ने बताया, "हमारी एक बुआ भी हमारे साथ रहती हैं। साल 2014 में मैं उनका इलाज करवाने नियमित रूप से चंडीगढ़ जाया करता था। उस दौरान टाइम पास करने मैं शहर की दुर्गा नर्सरी में जाता था और जब भी वापस आता, तो कुछ पौधे लेकर आता।"

उसी नर्सरी वाले ने उन्हें पहली बार रेन लिली के पौधे दिए थे। इसके बाद उन्हें यह पौधा और इसके फूल इतने अच्छे लगे कि उन्होंने इसके बारे में ज्यादा जानना शुरू किया। बाद में उन्हें पता चला कि इसकी तो कई किस्में होती हैं। फिर क्या था उन्होंने सोशल मीडिया के अलग-अलग गार्डनिंग ग्रुप के ज़रिए, रेन लिली की मैक्सिकन, थाई और वियतनाम वराइटी को जमा करना शुरू कर दिया । 

प्रशांत कहते हैं, “सोशल मीडिया पर मुझे, मेरे जैसे कई शौक़ीन लोग मिले और वे लोग मुझे अपने पास मौजूद पौधों की फोटोज़ भेजते थे और धीरे-धीरे मेरा कलेक्शन काफी बढ़ने लगा। देसी किस्म के रेन लिली के बल्ब तो काफी सस्ते मिल जाते हैं, लेकिन हाइब्रिड बल्ब की किस्में हजारों रुपयों में बिकती हैं।"

परिवार वालों से डांट के बावजूद, डटे रहे प्रशांत

Varieties Of Rain Lilly
Varieties Of Rain Lilly

हाल में प्रशांत के पास रेड मकाऊ नाम की रेन लिली की किस्म है, जिसके एक बल्ब की कीमत 4800 रुपये है। उनका घर रेन लिली का एक छोटे पार्क या प्रयोगशाला से कम नहीं है। उन्होंने खुद भी दो हाइब्रिड किस्में अलग-अलग पौधों के पोलेन और स्टिग्मा को मिलाकर तैयार किया की है।

प्रशांत कहते हैं कि शुरुआत में उनके घरवाले उन्हें महंगे बल्ब लेने पर डांटा भी करते थे। लेकिन आज प्रशांत बेचने के बजाय, खुद ही रेन लिली की दुर्लभ किस्में बेचकर अपने गार्डनिंग के शौक़ को पूरा कर लेते हैं।  

इसके अलावा उनके पास iris, Amaryllis और crinum के फूलों की भी कई किस्में लगी हुई हैं। उन्होंने बताया कि ये सारे फूल कम देखभाल के बावजूद अच्छे बढ़ते हैं। उनके घर के तीसरे फ्लोर पर उन्होंने इन पौधों को लगाया है। जबकि दूसरे फ्लोर पर कुछ और पौधे भी लगे हुए हैं। प्रशांत को फूलों के साथ-साथ जानवरों से भी विशेष लगाव है। वह People For Animals के भी स्थायी सदस्य हैं।  

आप प्रशांत से रेन लिली की दुर्लभ किस्में लेने के लिए उन्हें फेसबुक पर संपर्क कर सकते हैं।  

संपादनः अर्चना दुबे

यह भी पढ़ेंः 7 साल पहले नहीं था एक भी पौधा, आज इनका टेरेस गार्डन है कई पक्षियों का घर