मुज़फ्फरनगर (उत्तरप्रदेश) के प्रशांत शर्मा को अपनी दादी और पापा से गार्डनिंग का शौक़ मिला था। आज उनके घर में विदेशी किस्मों के कई फूल खिलते हैं, रेल लिली का उनके पास जो कलेक्शन है, वह तो शायद ही किसी के पास होगा।
बचपन से पेड़-पौधे लगा रहे अंकलेश्वर के दीपक प्रजापति, जहां भी रहते हैं, वहां पौधे लगाते रहते हैं। उन्होंने देशभर से पोर्टुलाका की 100 किस्में जमा की हैं, जिन्हें वह सिर्फ अपने घर में ही नहीं, बल्कि गांव के मंदिरों में भी लगाते रहते हैं।
कोटा, राजस्थान की रहने वाली पारुल सिंह को सात साल पहले तक गार्डनिंग की कोई जानकारी नहीं थी। न ही वह कोई पौधा उगाती थीं। लेकिन एक बार अपने बेटे के एक सवाल का जवाब देते हुए, उन्हें गार्डनिंग का ऐसा शौक हुआ कि उन्होंने अपने घर में 1500 से ज्यादा पौधे उगा लिए।
फरीदाबाद की रहनेवाली डॉ. करुणा पाल गुप्ता के घर में एक-दो नहीं, बल्कि चार अलग-अलग तरह के गार्डन बने हैं। जिन्हें उन्होंने जंगल और फ्लावर थीम से सजाया है।