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जब भी हम ट्रैफिक पुलिस या फिर ट्रांसपोर्ट ऑफिसर के बारे में सोचते हैं तो अक्सर एक रोबदार, रूखे से व्यवहार वाले इंसान की छवि सामने आ जाती है। कोई नहीं चाहता कि कभी भी रास्ते में इनसे पाला पड़े। लेकिन द बेटर इंडिया आज आपको एक ऐसे डिस्ट्रिक ट्रांसपोर्ट ऑफिसर से मिलवा रहा है, जिनसे राह चलते यदि कभी मुलाक़ात हो जाए तो आप उनसे ट्रांसपोर्टेशन के साथ-साथ गार्डनिंग के भी टिप्स ले सकते हैं।
जी हाँ, हम बात कर रहे हैं, जयपुर के डिस्ट्रिक्ट ट्रांसपोर्ट ऑफिसर आदर्श सिंह राघव की। परिवहन विभाग में अपनी ड्यूटी निभाने के साथ-साथ आदर्श पूरी ज़िम्मेदारी से अपने घर-परिवार के साथ साग-सब्जी भी उगा रहे हैं। और सिर्फ अपने बच्चों को ही नहीं बल्कि पड़ोसियों को भी जैविक सब्जी खिला रहे हैं।
आज से लगभग 2 साल पहले अपनी छत पर गार्डनिंग शुरू करने वाले आदर्श बताते हैं, "अगर एक तरह से देखा जाए तो शहरों में रहने वाले बहुत से लोग किसान परिवारों से ही आते हैं। कुछ की जड़ अभी भी गाँव और खेतों से जुडी हुई हैं तो कुछ लोग सिर्फ शहर के होकर रह गए हैं। ये लोग कभी-कभार अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए अपनी रोज़ी-रोटी में लगे पड़े हैं। हमारा भी कुछ यही हाल है कि अब नौकरी तो करनी है ही लेकिन साथ में किसानी के नाम पर भी जो कुछ कर सकते हैं, वह करने की कोशिश कर रहे हैं।"
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साग-सब्जियों में अंधाधुंध रसायनों के प्रयोग की ख़बरें तो लगातार अख़बारों और टीवी चैनलों पर आती हैं। बस फर्क यह है कि देखने और पढ़ने वाले बहुत ही कम लोग इन खबरों को गंभीरता से लेते हैं। क्योंकि जो इन खबरों को गंभीरता से पढ़ते और सोचते हैं वह इस बारे में कुछ करने का प्रयास भी करते हैं, जैसा कि आदर्श कर रहे हैं।
उन्होंने टेरेस गार्डनिंग इसी सोच के साथ शुरू की कि वह खुद स्वस्थ और जैविक सब्ज़ियाँ उगाएं और अच्छा खाएं। उनका टेरेस 200 स्क्वायर फ़ीट का है और उस पर उन्होंने तरह-तरह के ग्रो बैग लगाकर गार्डनिंग शुरू की। वह बताते हैं कि उन्होंने बहुत कम पौधों से शुरुआत की थी और वह भी ऐसे पेड़-पौधे जिनमें कम मेहनत लगती है। सबसे पहले तो उन्होंने पत्तेदार सब्जी जैसे पालक, मेथी आदि लगाई और फिर धीरे -धीरे टमाटर-मिर्च उगाना शुरू किया। और आज वह हर मौसम में अलग-अलग तरह की सब्ज़ियों की उपज ले रहे हैं।
आदर्श कहते हैं कि उन्होंने जो भी सीखा यूट्यूब आदि को देखकर सीखा है। वह खुद भी अब यूट्यूब पर अपने गार्डन की एक्टिविटी शेयर करते हैं। वह जो कुछ भी अपने गार्डन में करते हैं उसे लोगों से साझा करते हैं। वह बाजार से केवल आलू और प्याज खरीदते हैं, बाकी सब कुछ जैसे घीया/लौकी, कद्दू, भिंडी, बैंगन, शिमला मिर्च, धनिया, पुदीना, मूली, गाजर, शलजम, गोभी आदि वह खुद अपने गार्डन में उगाते हैं।
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"लॉकडाउन के दौरान, हमारे गार्डन के चलते बहुत ज़्यादा राहत रही। सिर्फ हमें ही नहीं बल्कि हमारे पड़ोसियों को भी काफी मदद मिली। हमने बहुत से टमाटर, लौकी वगैरा लोगों के घर पहुंचाए। अब कुछ दिनों में सर्दियों की सब्ज़ियों की तैयारी शुरू कर दूंगा। जैसे ही इस मौसम की सब्जी खत्म होंगी, सर्दियों की सब्जियाँ शुरू हो जाएंगी," उन्होंने कहा।
वह आगे बताते हैं कि अब उन्हें अब बाजार से बीज नहीं खरीदना पड़ता है। शुरुआत में उन्होंने सभी सब्जियों के देसी बीज खरीदे थे और अब वह सब्जियों में से ही बीज बचा लेते हैं और उन्हें अगले सीजन के लिए तैयार करते हैं। समय के अभाव के कारण जैविक खाद वह बाहर से ही खऱीदते हैं क्योंकि यह सब बनाने का ज्यादा वक़्त उन्हें नहीं मिल पाता है। लेकिन अपने पौधों के लिए कीट प्रतिरोधक या फिर पोषक टॉनिक जैसी चीजें वह बना लेते हैं। उन्होंने गार्डन के लिए ड्रिप इरीगेशन सिस्टम भी बनाया है।
उनके गार्डन में 100 से भी ज्यादा गमले, ग्रो बैग्स आदि हैं जिन्हें पानी देना कोई कम मेहनत का काम नहीं है। इसलिए आदर्श ने खुद ही पुराने पाइप और प्लास्टिक की बोतलें लेकर एक ड्रिप इरीगेशन सिस्टम बनाया। अब वह सिर्फ एक नल खोलते हैं और पाइप के मुख्य सिरे को इससे लगाते हैं। चंद मिनटों में उनके सभी पौधों को पानी मिल जाता है।
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इसके अलावा, आदर्श सहफसली करके भी पौधे उगाते हैं जैसे तुलसी के साथ शिमला मिर्च, लेटिष के साथ चकुंदर, फूल गोभी के साथ लहसुन और हर्ब्स आदि।
इस बार उन्हें अपने गार्डन से काफी ज्यादा लौकी की फसल मिली है। जिसके लिए वह कहते हैं कि उन्होंने लौकी की बेल में 3G कटिंग करके यह उत्पादन लिया है।
3G कटिंग क्या होती है, यह भी वह समझा रहे हैं। आदर्श कहते हैं कि जब लौकी की बेल बढ़ना शुरू होती है तो उस पर दो तरह के फूल आते हैं जिन्हें हम मेल और फीमेल कहते हैं। सबसे पहले बेल के मुख्य तने पर मेल फूल आते हैं और जब तक इस बेल से और कोई शाखाएं नहीं निकलतीं, तो फीमेल फूल नहीं आ सकते। अगर दोनों तरह के फूल नहीं आयेंगे तो लौकी नहीं लगेंगे।
इसलिए, सबसे पहले जब बेल 6-7 फीट की हो जाए तो इसे ऊपर सिरे से हल्का सा काट देना चाहिए। कुछ दिनों बाद, जहां से आपने बेल को काटा है वहां से दो अलग-अलग शाखाओं में बेल बढ़ने लगती है। इसे 2G कटिंग कहते हैं। जब ये दोनों शाखाएं थोड़ी लंबी हो जाएं तो आप इनको भी ऊपरी सिरों से काटना चाहिए और फिर इनमें से और नयी शाखाएं आगे निकलती हैं।
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ये जो तीसरी नई शाखाएं निकलती हैं, इस प्रक्रिया को 3G यानी कि तीसरी जनरेशन कटिंग कहते हैं। इस तीसरी जनरेशन की शाखाओं पर काफी ज्यादा फीमेल फूल आते हैं और इससे आपको लौकी का ज्यादा उत्पादन मिलता है।
अपने घर की छत के अलावा, उन्होंने जयपुर में ही एक छोटी सी ज़मीन के टुकड़े पर भी बाग़ लगाया है। इसमें उन्होंने ऐसे पेड़-पौधे लगाए हैं जिन्हें ज्यादा देखभाल की ज़रूरत न पड़े। इनमें ज़्यादातर फलों के पेड़ हैं और इन्हें पानी आदि देने के लिए एक माली लगाया हुआ है। "वहाँ हमारा हर रोज़ जाना नहीं हो पाता इसलिए एक आदमी को रखा हुआ है। हम कभी-कभी ही वहाँ जाते हैं। वहाँ केवल हरियाली ही हरियाली है," उन्होंने आगे कहा।
आदर्श अपने गार्डन में सुबह-शाम वक़्त बिताते हैं। कभी-कभी उनके बच्चे भी गार्डनिंग में मदद करते हैं लेकिन ज़्यादातर काम वह खुद ही करते हैं। उनका मानना है कि गार्डनिंग से उन्हें काफी संतोष मिलता है और सुकून भी। इसके साथ-साथ उन्हें तसल्ली है कि उनका परिवार ताज़ी और स्वस्थ सब्जी खा रहा है।
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आदर्श सब लोगों को यही सलाह देते हैं कि अगर आपके पास छत या बालकनी या फिर आँगन में जगह है तो अपने लिए सब्जी खुद उगाएं। खासतौर पर शहरों में लोगों को यह पहल ज़रूर करनी चाहिए।
अगर आपको भी है बागवानी का शौक और आपने भी अपने घर की बालकनी, किचन या फिर छत को बना रखा है पेड़-पौधों का ठिकाना, तो हमारे साथ साझा करें अपनी #गार्डनगिरी की कहानी। तस्वीरों और सम्पर्क सूत्र के साथ हमें लिख भेजिए अपनी कहानी [email protected] पर!
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