अपने ऑर्गेनिक टेरेस गार्डन को बिज़नेस में बदलना कोई केरल की रेमा देवी से सीखे, जो अपने घर के पौधों, बीजों और खाद की जानकारी से हर महीने 60 हज़ार रुपये तक कमा लेती हैं।
तमिलनाडु के रहने वाले थायुमानवन कुनापालन शहरी गार्डनर्स के लिए किसी उदाहरण से कम नहीं हैं। वह अपने घर की छत पर लगभग हर तरह की सब्जियां उगा रहे हैं, लेकिन ख़ासियत यह है कि ये सब्जियां वह 200 ग्रो बैग्स और 25 पुराने रेफ्रिजरेटर्स में उगाते हैं।
रिटायर होने के बाद, थोडुपुझा (केरल) के रहनेवाले पुन्नूस जैकब ने खेती के अपने शौक़ को आजमाने का फैसला किया। आज वह ‘मंगलम फूड्स' ब्रांड के तहत, ताज़ा सब्जियां बेच रहे हैं।
सूरत के डॉक्टर दम्पति जिगना और राहुल शाह के टेरेस गार्डन में सब्जियां और फल का उत्पादन किसी खेत से कम नहीं होता, क्योंकि उन्होंने बेहतर पोलीनेशन के लिए छत पर सरसों के पौधे भी उगाए हैं।
जयपुर में रहने वाले 45 वर्षीय प्रतीक तिवारी ने MNC की नौकरी छोड़ पोर्टेबल फार्मिंग सिस्टम का बिजनेस शुरू किया है, जिसके तहत वह देश के 25 से अधिक शहरों में 1500 से अधिक घरों को खेती से जोड़ चुके हैं।
सोख समुंदर यानी जलकुंभी (Jalkumbhi को एक बेकार जलीय पौधा माना जाता है। लेकिन इसके औषधीय गुण डायबिटीज से लेकर कैंसर तक में कारगर है। जानिए इसे गमले में उगाने का तरीका।
सूरत की प्रोफेसर डॉ. रेखा मिस्त्री के घर में सालों पहले बस कुछ फूल के ही पौधे थे। लेकिन साल 2016 में उन्होंने टेरेस गार्डनिंग (Terrace Gardening) की शुरुआत की और आज वह अपनी 410 स्क्वायर फ़ीट की छत में 13 औषधीय पौधे, 10 सजावटी पौधे, 10 फलदार पौधे और 12 तरह की सब्जियां उगा रहीं हैं।
इंदौर में रहने वाली 65 वर्षीया चेतना भाटी को बचपन से ही बागवानी से काफी लगाव था। उन्होंने टेरेस गार्डनिंग की शुरुआत, 4 साल पहले सात-आठ फूलदार पौधों से की थी और आज उनके पास 150 से अधिक पौधे हैं। पढ़िए बागवानी की यह प्रेरक कहानी!