यह कहानी है चंडीगढ़ के रहनेवाले छोटू शर्मा की, जिन्हें आज 'माइक्रोसॉफ्ट टेक्नोलॉजी का गुरु' कहा जाता है। आज वह दो आईटी कंपनियां चला रहे हैं और सैकड़ों लोगों को रोजगार दे रहे हैं। लेकिन एक समय ऐसा भी था, जब छोटू शर्मा खुद दूसरों के यहां नौकरी करते थे।
हिमाचल में कांगड़ा के सोहरन गाँव के रहने वाले 73 वर्षीय रिटायर्ड कर्नल प्रकाश चंद राणा, हल्दी, अदरक, लहसुन जैसी फसलों के साथ मधुमक्खी पालन कर रहे हैं। साथ ही, वह अपनी उपज को प्रोसेस करके हल्दी पाउडर, पांच तरह के अचार और दो तरह के शहद सीधा ग्राहकों को उपलब्ध करा रहे हैं।
उत्तराखंड में बागेश्वर जिले के सामा गाँव में रहने वाले 72 वर्षीय भवान सिंह, कीवी की खेती और नर्सरी तैयार कर रहे हैं, जिससे वह सालाना 10 लाख रुपए से ज्यादा कमाते हैं।
त्रिशूर, केरल के एक दंपति, हरीकृष्णन जे और लक्ष्मी कृष्णा ने साल 2019 में, अपनी नौकरी छोड़ कर देश-दुनिया की यात्रा करने का फैसला किया और अपना यूट्यूब चैनल 'टिनपिन स्टोरीज' शुरू किया। फिलहाल, वे अपनी कार से ही देश के सात राज्यों की यात्रा कर चुके हैं।
रवि के छोटे भाई अक्षय शर्मा भी एक निजी यूनिवर्सिटी में जाॅब कर रहे थे। पर रवि की सफलता को देखते हुए अब उन्होंने भी नौकरी छोड़कर भाई का साथ देने का फैसला लिया है।
निजी अस्पतालों में इस सर्जरी का खर्च डेढ़ से तीन लाख रुपये तक आता है और यहाँ डॉ. उदय न सिर्फ़ यह सर्जरी मुफ़्त में कर रहे हैं बल्कि सर्जरी के लिए मशीन भी उन्होंने खुद खरीदी है।
इस सेवा के अंतर्गत मोबाइल वैन में एक हेल्थ ऑफिसर एवं पैरा मेडिकल वालंटियरस के अलावा नर्स, फार्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन तथा वाहन चालक होते हैं, जो लोगों के घर द्वार पहुंचकर न केवल विभिन्न प्रकार के रोगों की निशुल्क जांच करते है बल्कि मौके पर उनका इलाज भी करते है।
साल 1965 में आकाशवाणी भवन के स्टूडियो सभागार से 15 अगस्त को नियमित दूरदर्शन प्रसारण शुरू किया गया था। सबसे पहला न्यूज़ बुलेटिन पुरे पांच मिनट का था और इसे प्रेजेंट किया प्रतिमा पुरी ने। हिमाचल प्रदेश की प्रतिमा देश की पहली महिला न्यूज़ एंकर थीं।
इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) के दो कॉन्सटेबल को भारत सरकार द्वारा कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है। पंजाब के पठानकोट से ताल्लुक रखने वाले अजय सिंह पठानिया और हिमाचल प्रदेश के मंडी के रहने वाले कॉन्स्टेबल रूप सिंह ने 7 जुलाई, 2008 को काबुल में भारतीय दूतावास में बहुत सी जानें बचाने के लिए अपनी परवाह नहीं की।