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हिंदी साहित्य

शहीद भगत सिंह का वह साथी, जो साहित्य का तारा बनकर भी 'अज्ञेय' रहा!

By निशा डागर

हिंदी साहित्य की दुनिया 'अज्ञेय' उपनाम से मशहूर सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यानंद का जन्म 7 मार्च 1911 को उत्तर- प्रदेश में कुशीनगर के कस्या में हुआ था। साहित्यकार होने के साथ- साथ वे एक स्वतंत्रता सेनानी भी थे, जिन्होंने शहीद भगत सिंह के साथ मिलकर आज़ादी की लड़ाई में भाग लिया था।

महिलाओं के मुद्दों को घर के चूल्हे-चारदीवारी से निकाल, चौपाल तक पहुँचाने वाली बेबाक लेखिकाएं!

By निशा डागर

द बेटर इंडिया पर, पढ़िए ऐसी कुछ लेखिकाओं के बारे में, जिनकी रचनाओं ने स्त्री के मुद्दों को घर के चूल्हे और चारदीवारी से निकालकर पुरुष-प्रधान चौपाल तक पहुँचा दिया। इनमें कृष्णा सोबती, अमृता प्रीतम, मृदुला गर्ग, कमला भसीन, इस्मत चुग़ताई, अनुराधा बेनीवाल और चित्रा देसाई जैसे नाम शामिल होते हैं!

'झाँसी की रानी' को जन-मानस तक पहुँचाने वाली सुभद्रा!

By निशा डागर

16 अगस्त 1904 को इलाहाबाद के निकट निहालपुर नामक एक गाँव में जन्मीं सुभद्रा कुमारी चौहान हिन्दी की सुप्रसिद्ध कवयित्री और लेखिका थीं। राष्ट्रीय चेतना के प्रति सजग इस कवियत्री के काव्य में आपको 'वीर रस' की आभा मिलेगी। उनकी कविता, 'झाँसी की रानी' के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है।

जानकी वल्लभ शास्त्री: एक कथाकार के जीवन की अनकही कहानी!

By निशा डागर

5 फरवरी 1916 में बिहार के मैगरा गाँव में जन्में जानकी वल्लभ शास्त्री को जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत, सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' एवं कवयित्री महादेवी वर्मा के बाद छायावाद युग का पांचवा महत्वपूर्ण रचनाकार माना जाता है। उनका पहला गीत 'किसने बाँसुरी बजाई' बहुत लोकप्रिय हुआ था।

कृष्णा सोबती : बंटवारे के दर्द से जूझती रही जिसकी रूह!

By निशा डागर

साल 2017 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित मशहूर हिंदी लेखिका, निबंधकार कृष्णा सोबती का जन्म 18 फरवरी 1925 को हुआ था। उनकी कुछ प्रमुख रचनाएँ हैं- ज़िंदगीनामा, यारों के यार, मित्रो मरजानी, सिक्का बदल गया, आदि। 25 जनवरी 2019 को उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली।

'नपनी' : लड़की को वस्तु समझने वालों की सोच पर ज़ोर का तमाचा है 'दूधनाथ सिंह' की यह कहानी!

By निशा डागर

दूधनाथ सिंह का जन्म 17 अक्टूबर 1936 को उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले के सोबंथा गाँव में हुआ। हिंदी साहित्य के प्रसिद्द लेखक, कवि, आलोचक और संपादक रहे दूधनाथ सिंह को साठोत्तरी कहानी आंदोलन का सूत्रपात माना जाता है। साल 2018 में 11 जनवरी को 81 साल की उम्र में उनका निधन हो गया।

गोपालदास 'नीरज': 'कारवाँ गुजर गया' और रह गयी बस स्मृति शेष!

By निशा डागर

गोपालदास 'नीरज' का जन्म 4 जनवरी, 1925 को उत्तरप्रदेश के इटावा के 'पुरावली' नामक ग्राम में एक साधारण कायस्थ-परिवार में हुआ था। वे हिन्दी साहित्यकार, शिक्षक, एवं कवि सम्मेलनों के मंचों पर काव्य वाचक एवं फ़िल्मों के गीत लेखक थे। 19 जुलाई 2018 को उन्होंने दुनिया से विदा ली .

हिंदी साहित्य के 'विलियम वर्ड्सवर्थ' सुमित्रानंदन पंत!

By निशा डागर

सुमित्रानंदन पंत का जन्म अल्मोड़ा के कैसोनी गांव (अब उत्तराखंड में) में 20 मई 1900 को हुआ था। हिंदी साहित्य के छायावादी युग के चार स्तंभों में से एक थे सुमित्रानंदन पंत। हरिवंश राय बच्चन के अच्छे मित्र हुआ करते थे और उन्होंने ही 'अमिताभ बच्चन' का नामकरण भी किया था।

हिन्दी कविता को एक नयी उड़ान देने वाले 'उन्‍मुक्‍त गगन के पंछी' शिवमंगल सिंह 'सुमन'!

By निशा डागर

शिवमंगल सिंह का जन्म 5 अगस्त 1915 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के झगेरपुर में हुआ था। वे मशहूर हिंदी लेखक व कवि थे। अध्यापन के अलावा विभिन्न महत्त्वपूर्ण संस्थाओं और प्रतिष्ठानों से जुड़कर उन्होंने हिंदी साहित्य में योगदान दिया। 27 नवंबर 2002 को उनका निधन हो गया था।