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साहित्य के पन्नों से

रवीन्द्र प्रभात: हिंदी में ब्लॉग लिखने का है शौक, तो इनसे ज़रूर मिले!

By निशा डागर

हिंदी के प्रसिद्द साहित्यकार और हिंदी ब्लॉगिंग को एक नयी पहचान देने वाले ब्लॉगर, रवीन्द्र प्रभात ने साहित्य की कई विधाओं पर अपनी लेखनी चलाई है। साल 2007 से उन्होंने ब्लॉगिंग के ज़रिए हिंदी साहित्य में उभरते हुए सितारों को पहचान और सम्मान दिलाने का अभियान छेड़ा हुआ है।

माँ की आराधना से हुई थी तुकबंदी की शुरुआत, भविष्य में बनी साहित्य की 'महादेवी'!

By निशा डागर

हिन्दी कविता के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में सुमित्रानन्दन पन्त, जयशंकर प्रसाद और सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला के साथ-साथ महादेवी वर्मा का नाम शामिल होता है। हिंदी साहित्य की प्रख्यात कवयित्री और लेखिका, महादेवी वर्मा अपनी रचनाओं से साहित्य पर अमिट छाप छोड़ी है।

शहीद भगत सिंह का वह साथी, जो साहित्य का तारा बनकर भी 'अज्ञेय' रहा!

By निशा डागर

हिंदी साहित्य की दुनिया 'अज्ञेय' उपनाम से मशहूर सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यानंद का जन्म 7 मार्च 1911 को उत्तर- प्रदेश में कुशीनगर के कस्या में हुआ था। साहित्यकार होने के साथ- साथ वे एक स्वतंत्रता सेनानी भी थे, जिन्होंने शहीद भगत सिंह के साथ मिलकर आज़ादी की लड़ाई में भाग लिया था।

महिलाओं के मुद्दों को घर के चूल्हे-चारदीवारी से निकाल, चौपाल तक पहुँचाने वाली बेबाक लेखिकाएं!

By निशा डागर

द बेटर इंडिया पर, पढ़िए ऐसी कुछ लेखिकाओं के बारे में, जिनकी रचनाओं ने स्त्री के मुद्दों को घर के चूल्हे और चारदीवारी से निकालकर पुरुष-प्रधान चौपाल तक पहुँचा दिया। इनमें कृष्णा सोबती, अमृता प्रीतम, मृदुला गर्ग, कमला भसीन, इस्मत चुग़ताई, अनुराधा बेनीवाल और चित्रा देसाई जैसे नाम शामिल होते हैं!

'कोशिश करने वालों की हार नहीं होती' : बच्चन भी जिनकी कविताओं के थे कायल!

By निशा डागर

कोशिश करने वालों की हार नहीं होती सोहनलाल द्विवेदी koshish karne walon ki haar nahi hoti harivansh rai bachchan sohan lal dwivedi

कृष्णा सोबती : बंटवारे के दर्द से जूझती रही जिसकी रूह!

By निशा डागर

साल 2017 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित मशहूर हिंदी लेखिका, निबंधकार कृष्णा सोबती का जन्म 18 फरवरी 1925 को हुआ था। उनकी कुछ प्रमुख रचनाएँ हैं- ज़िंदगीनामा, यारों के यार, मित्रो मरजानी, सिक्का बदल गया, आदि। 25 जनवरी 2019 को उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली।

गोपालदास 'नीरज': 'कारवाँ गुजर गया' और रह गयी बस स्मृति शेष!

By निशा डागर

गोपालदास 'नीरज' का जन्म 4 जनवरी, 1925 को उत्तरप्रदेश के इटावा के 'पुरावली' नामक ग्राम में एक साधारण कायस्थ-परिवार में हुआ था। वे हिन्दी साहित्यकार, शिक्षक, एवं कवि सम्मेलनों के मंचों पर काव्य वाचक एवं फ़िल्मों के गीत लेखक थे। 19 जुलाई 2018 को उन्होंने दुनिया से विदा ली .

हिन्दी कविता को एक नयी उड़ान देने वाले 'उन्‍मुक्‍त गगन के पंछी' शिवमंगल सिंह 'सुमन'!

By निशा डागर

शिवमंगल सिंह का जन्म 5 अगस्त 1915 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के झगेरपुर में हुआ था। वे मशहूर हिंदी लेखक व कवि थे। अध्यापन के अलावा विभिन्न महत्त्वपूर्ण संस्थाओं और प्रतिष्ठानों से जुड़कर उन्होंने हिंदी साहित्य में योगदान दिया। 27 नवंबर 2002 को उनका निधन हो गया था।