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मोबाइल गेम छोड़, बच्चों ने दिया किसान पिता का साथ, चंद महीनों में हुआ ढाई लाख का मुनाफा

By निशा डागर

हरियाणा में झज्जर के एक गाँव में रहने वाले कुलदीप सुहाग, अपनी दो एकड़ जमीन पर जैविक खेती कर रहे हैं। इस काम में उनके घर के सभी छोटे-बड़े बच्चे उनकी मदद कर रहे हैं।

इस 17 वर्षीय लड़की ने 700 बच्चों को शिक्षा से जोड़ा, रोके 50 से ज्यादा बाल विवाह!

By निशा डागर

"जितने बड़े सपने होंगे, उतनी ही ज्यादा चुनौतियाँ होंगी। जितना ज्यादा संघर्ष होगा, उतनी ही बड़ी मंजिल होगी, इसलिए बस एक कदम बढ़ाकर देखें।"

टीचर ने बनाया अनोखा स्कूल, जहाँ बच्चों को मिलती है मुफ्त शिक्षा और अभिभावकों को रोज़गार!

शालिनी का मानना है कि जब तक मौलिक जरूरतें पूरी नहीं होंगी, तब तक बच्चे शिक्षा का महत्व नहीं समझेंगे।

प्लास्टिक के बदले 250 बच्चों को मुफ़्त शिक्षा, किताबें और खाना दे रहा है यह स्कूल!

By निशा डागर

प्लास्टिक के कचरे को इकट्ठा कर स्कूल के गेट के पास रखे डस्टबिन में डालने के अलावा, बच्चे सड़क के दोनों ओर लगे 2, 000 पौधों को पानी भी देते हैं।

कार्डबोर्ड से बना 10 रुपये का यह स्कूल बैग बन जाता है डेस्क भी!

By सोनाली

चीजें जो हम नज़रअंदाज़ करते हैं, वह अक्सर सबसे महत्वपूर्ण होती है। डेस्क, कुर्सी या ब्लैक बोर्ड किसी स्कूल की सबसे बेसिक आवश्यकता होती है। इसके बावजूद ग्रामीण भारत के सैकड़ों स्कूल इन सुविधाओं से दूर है। "

हर रोज़ 30 बच्चों का पेट भर रहा है यह फ़ूड डिलीवरी एजेंट, 21 बच्चों का कराया सरकारी स्कूल में दाखिला!

By निशा डागर

पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के दम दम कैंटोनमेंट में ज़ोमैटो का एक फ़ूड डिलीवरी एजेंट हर दिन फूटपाथ पर गुज़र-बसर करने वाले मासूम बच्चों का हर दिन पेट भर रहा है। इन गरीब बच्चों के बीच 'रोल काकू' के नाम से मशहूर पथिकृत साहा दुनिया को सीखा रहे हैं कि कैसे अच्छाई का एक छोटा-सा कदम समाज में एक अहम बदलाव ला सकता है।

सरकारी स्कूल के इस शिक्षक ने पहले खुद अंग्रेज़ी सीखी, फिर अपने छात्रों को सिखाई फर्राटेदार इंग्लिश!

शशि रायगढ़ के डोंगीपानी गांव में प्राइमरी स्कूल के शिक्षक हैं। उन्होंने स्कूल के बच्चों को अंग्रेजी बोलना, लिखना और पढ़ना सिखाया है और आज स्कूल के बच्चे फर्राटेदार अंग्रेजी में बात करते है।

छुट्टी के दिन दिहाड़ी मज़दूरों के बच्चों को पढ़ाती है अंकिता, आज अंग्रेज़ी में अव्वल है ये बच्चे!

chattisgarh Girl रायपुर, की अंकिता जैन के प्रयासों पत्रकारिता की पढ़ाई की है और वर्तमान में एक सामाजिक संस्था के लिए काम करती हैंI

झारखंड: एशो-आराम की ज़िंदगी छोड़, कोयला मज़दूरों के बच्चों के जीवन को संवार रहे हैं देव कुमार वर्मा!

32 वर्षीय देव कुमार वर्मा का जन्म झारखंड के धनबाद जिले के कतरास गाँव में हुआ। उनके पिता कोयला मज़दूर थे, लेकिन उन्होंने पढ़-लिखकर अच्छी नौकरी हासिल की। आज देव और उनकी पत्नी, अपने गाँव एक कोयला मज़दूरों के बच्चों को मुफ़्त शिक्षा देकर उनका जीवन संवार रहे हैं!

22 वर्षीय छात्र ने ली स्लम के बच्चों की ज़िम्मेदारी, आईआईटी के लिए तैयार करना है लक्ष्य!

By निशा डागर

22 वर्षीय श्री निवास झा राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान से एम. ए कर रहे हैं। मूलतः बिहार के मधुबनी से ताल्लुक रखने वाले श्री निवास का परिवार भोपाल में रहता है। साल 2015 में भोपाल के अन्ना नगर स्लम में रहने वाले बच्चों के जीवन में शिक्षा का प्रकाश फैलाने के लिए उन्होंने 'आरोह तमसो ज्योति' पहल की शूरुआत की।