उत्तराखंड में रुद्रप्रयाग जिले के सेमलता गाँव के रहने वाले 67 वर्षीय सोबत सिंह बागड़ी रिटायर्ड बैंक मैनेजर हैं और पिछले सात सालों में उन्होंने पथरीली जमीन पर 1400 पेड़-पौधे लगाकर इसे हरा-भरा कर दिया है।
गुरुग्राम के गौतम मलिक ने 2015 में अपनी माँ, डॉ. ऊषा मलिक और अपनी पत्नी भावना डन्डोना के साथ मिलकर 'जैगरी बैग्स' की शुरूआत की। वे पुरानी-बेकार सीट बेल्ट और कार्गो बेल्ट को अपसायकल करके, खूबसूरत और टिकाऊ बैग बना रहे हैं।
बेंगलुरु में रहने वाले 58 वर्षीय विश्वनाथ मल्लाबादी एक इको-आर्टिस्ट हैं, जो पिछले आठ सालों से इलेक्ट्रॉनिक कचरे को अपसायकल करके ज्वेलरी, पेंटिंग, मिनी बिल्डिंग, डमी रोबोट आदि बना रहे हैं।