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पर्यावरण संरक्षण

बिजली-पानी मुफ्त और खाना बनता है सोलर कुकर में, बचत के गुर सीखिए इस परिवार से

By निशा डागर

गुजरात के भरुच में रहनेवाली 29 वर्षीया अंजलि और उनका परिवार 'सस्टेनेबल' तरीकों से जीवन जी रहा है।

शहर में रहते थे बीमार, गाँव पहुंचे, पथरीली जमीन पर लगाए 1400 पेड़ और हो गए स्वस्थ

By निशा डागर

उत्तराखंड में रुद्रप्रयाग जिले के सेमलता गाँव के रहने वाले 67 वर्षीय सोबत सिंह बागड़ी रिटायर्ड बैंक मैनेजर हैं और पिछले सात सालों में उन्होंने पथरीली जमीन पर 1400 पेड़-पौधे लगाकर इसे हरा-भरा कर दिया है।

कभी करते थे ऑफिस बॉय की नौकरी, पराली से प्लाइवुड बनाकर खड़ी कर दी करोड़ों की कंपनी

By निशा डागर

चेन्नई के बी. एल. बेंगानी ने 'Indowud Design Technology' नामक एक स्टार्टअप लॉन्च किया है, जहाँ वे पराली का इस्तेमाल करके प्लाईवुड बना रहे हैं।

3960 मीटर बेकार सीट बेल्ट से खड़ा किया बिज़नेस, लाखों में हो रही कमाई

By निशा डागर

गुरुग्राम के गौतम मलिक ने 2015 में अपनी माँ, डॉ. ऊषा मलिक और अपनी पत्नी भावना डन्डोना के साथ मिलकर 'जैगरी बैग्स' की शुरूआत की। वे पुरानी-बेकार सीट बेल्ट और कार्गो बेल्ट को अपसायकल करके, खूबसूरत और टिकाऊ बैग बना रहे हैं।

टूथपेस्ट, शैम्पू से लेकर क्लीनर तक, सबकुछ बनाती हैं घर पर

By निशा डागर

लुधियाना, पंजाब की रहने वाली ज्योत्सना जैन पिछले दो सालों से इको फ्रेंडली लाइफस्टाइल फॉलो कर रही हैं।

घर की डेढ़ एकड़ बंजर ज़मीन पर उगाया जंगल, 30 वर्षों में लगाए 1000+ पेड़-पौधे

By निशा डागर

केरल के ऐलप्पी (Alleppey) में मुहम्मा के रहने वाले 75 वर्षीय केवी दयाल ने अपने घर के चारों ओर एक घना जंगल खड़ा कर दिया है।

बाजार से क्यों खरीदें? जब घर पर ही मुफ्त में बना सकते हैं प्राकृतिक 'लूफा'

By निशा डागर

कानपूर की रहने वाली, अल्पना ठाकुर पिछले दो साल से अपनी जीवनशैली को इको-फ्रेंडली बनाने में जुटी हैं और हाल ही में, उन्होंने 'प्राकृतिक लूफा' बनाया है।

पूर्व-आर्मी डॉक्टर ने शुरू किया अभियान, टीम के साथ मिलकर लगाए 60 हजार पेड़-पौधे

By निशा डागर

कैंसर को मात देकर, पूर्व-आर्मी डॉक्टर नितिन पांडे ने अपनी टीम के साथ मिलकर देहरादून में 'सिटीजन्स फॉर ग्रीन दून' की शुरुआत की।

E-Waste to Eco-Art: बेकार पड़े गैजेट्स से बना दी पेंटिंग, ज्वेलरी, घड़ी जैसी चीजें

By निशा डागर

बेंगलुरु में रहने वाले 58 वर्षीय विश्वनाथ मल्लाबादी एक इको-आर्टिस्ट हैं, जो पिछले आठ सालों से इलेक्ट्रॉनिक कचरे को अपसायकल करके ज्वेलरी, पेंटिंग, मिनी बिल्डिंग, डमी रोबोट आदि बना रहे हैं।