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बिजली-पानी मुफ्त और खाना बनता है सोलर कुकर में, बचत के गुर सीखिए इस परिवार से

By निशा डागर

गुजरात के भरुच में रहनेवाली 29 वर्षीया अंजलि और उनका परिवार 'सस्टेनेबल' तरीकों से जीवन जी रहा है।

इस तकनीक से किया बूढ़े पेड़ों को जवान, सालभर में मिले 2 लाख किलो से ज्यादा आम

By प्रीति महावर

गुजरात के वलसाड में रहने वाले किसान राजेश शाह, ‘गर्डलिंग’ तकनीक से बूढ़े पेड़ों को फलदार बनाते हैं।

शुरू की खीरा, खरबूज व तरबूज की जैविक खेती, मात्र 90 दिनों में कमाए लाखों

By निशा डागर

सूरत, गुजरात के रहने वाले प्रवीण पटेल ने इजराइल से जैविक खेती की तकनीक सीखकर खीरा, खरबूज, तरबूज, स्ट्रॉबेरी जैसे कैश क्रॉप की खेती शुरू की, जिनसे आज वह लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं।

पहले भरते थे रु. 10000 का बिजली बिल, अब ‘ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम’ लगवाने से बिल हुआ जीरो

By निशा डागर

अहमदाबाद, गुजरात में रहने वाले 31 वर्षीय डॉ. दिलीपसिंह सोढ़ा ने, अपनी छत पर पाँच किलोवाट क्षमता वाला सोलर सिस्टम लगवाकर, अपने घर के बिजली बिल को जीरो कर लिया है। इसके साथ ही, वह अपने पिता के साथ मिलकर पौधरोपण, ‘ट्रीगार्ड’ और ‘कार फ्री डे’ जैसी पहलों पर भी काम कर रहे हैं।

'अमूल बटर' से पहले था 'पोलसन' का बोलबाला, जानिए इस मक्खन की कामयाबी के पीछे छिपे राज़

By निशा डागर

अमूल बटर के अस्तित्व में आने से पहले देशभर में सिर्फ 'पोलसन बटर' का बोलबाला था, जिसे बॉम्बे में पोलसन कॉफी कंपनी के मालिक, पेस्तोनजी इडुलजी दलाल ने शुरू किया था।

गुलाब की खेती ने उबारा गरीबी से, 400 रुपए/किलो बिकता है इनके घर पर बना गुलकंद

By निशा डागर

नवसारी, गुजरात के रहने वाले जाकिर हुसैन और शमशाद जाकिर हुसैन, जैविक तरीकों से गुलाब की खेती करते हैं और इसके फूल से गुलकंद, गुलाबजल और फेसपैक जैसे उत्पाद बनाकर ग्राहकों तक पहुँचा रहे हैं। इस काम से वह महीने भर में 25 हजार रूपये से ज्यादा की कमाई कर लेते हैं।

कभी स्कूल में हुई थीं फेल, फिर पहले ही प्रयास में की UPSC की परीक्षा पास!

22 साल की उम्र में अंजू शर्मा ने अपने पहले प्रयास में ही UPSC की परीक्षा पास करके सबको बता दिया कि कोई भी असफलता आपको आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती है!

#हमराही: रिटायरमेंट के बाद झुग्गी के बच्चों की उठाई ज़िम्मेदारी, 15 साल बाद कोई सीए है तो कोई इंजीनियर!

By मानबी कटोच

हम रिटायरमेंट को अक्सर हर काम का अंत समझते हैं, पर यह तो एक सुनहरा अवसर है, जहाँ हमें अपनी मर्ज़ी का काम करके व्यस्त रहने के लिए ढेर सारा समय मिलता है।

बेटी के जन्म के बाद बनीं डॉक्टर, कंगना के पंगे से कम नहीं था संघर्षों से इनका 'पंगा'!

फिल्म देखने के दौरान निधि को लगा मानो जैसे सारे किरदार एकदम से जीवंत हो उठे हो और उनकी कहानी के इर्द-गिर्द घूमने लगे हो।

मंदिर के कचरे में ढूंढा व्यवसाय का खज़ाना, खड़ा कर दिया करोड़ों का कारोबार!

By निशा डागर

साल 1998 से अम्बा जी मंदिर के बिल्कुल बाहर रामी की दुकान है, जहाँ आज वे दो हज़ार से भी ज़्यादा हैंडीक्राफ्ट प्रोडक्ट्स बेचते हैं!