"साल 2008 में जब कैंसर के चलते मैंने अपनी पत्नी को खो दिया, तो मुझे लगा कि मैं अपने लेवल पर लोगों का स्वास्थ्य सुधारने के लिए जो कर सकता हूँ, ज़रूर करूँगा।"
उनके घरवालों ने उन्हें रोका और पड़ोसियों ने मजाक बनाया, फिर भी इस 28 वर्षीय इंजीनियर ने जैविक खेती में अपना हाथ आज़माने के लिए अपने ही परिवार से ज़मीन लीज पर ली। उनकी सफलता आज के युवाओं के लिए प्रेरणा है!
उत्तराखंड : जैविक सब्जियां व फूल उगाकर लाखों में कमाते हैं राका भाई!.सबसे खास बात यह है कि इन सब्जियों के उत्पादन में जैविक खाद और जैविक कीटनाशक का इस्तेमाल किया जाता है।
किसानों की समस्या को जड़ से मिटाने के लिए देश में आज उन्हें जैविक खेती की ओर मोड़ा जा रहा है, जिसमें किसी भी रसायन का प्रयोग न हो। पर यह समस्या तब तक हल नहीं हो सकती जब तक किसान विदेशी बीज अथवा कृतृम बीजों का इस्तेमाल करता रहेगा।
उत्तर-प्रदेश के अलीगढ़ में जरारा गाँव के रहने वाले अभिनव गोस्वामी, साल 2007 से अमेरिका में रह रहे थे। पर अपने देश के लिए कुछ करने का जज़्बा उन्हें वापिस अपने वतन ले आया। यहाँ आकर उन्होंने जैविक खेती, डेयरी फार्म, मधुमक्खी पालन आदि शुरू किया। उनका उद्देश्य बच्चों को स्किल बेस्ड शिक्षा देना है।
राजस्थान में एक किसान के बेटे 20 वर्षीय नारायण लाल गुर्जर ने फलों के छिलकों का इस्तेमाल कर एक प्राकृतिक सुपर एब्जॉर्बेंट पॉलिमर बनाया है। यह राजस्थान में बारिश की कमी के कारण सूखती ज़मीन और फिर कम उत्पादन जैसी समस्याओं का हल है। जैविक कचरे से बना यह पदार्थ इको-फ्रेंडली है।