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धारावी में बन रहे हैं बचे-कुचे कपड़ों से ये ख़ूबसूरत और किफायती बैग्स!

By निशा डागर

एक सजग ग्राहक के तौर पर यह हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम वो प्रोडक्ट्स खरीदें, जो हमारे समाज और पर्यावरण के लिए कल्याणकारी हो!

पढ़िए, उन जांबाज़ महिला बाइकर्स की कहानियां जिन्होंने बदल दी लोगों की सोच!

ये दूसरी महिलाओं के लिए मिसाल तो बन ही रही हैं, साथ ही उन्हें खुद के सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित भी कर रही हैं!

मॉडलिंग छोड़,14 सालों से लड़ रहे हैं छुआछूत की लड़ाई; मल उठाने वालों को दिलवाया सम्मानजनक काम!

By निशा डागर

बिहार में खगड़िया जिले के परबत्ता गाँव से ताल्लुक रखने वाले संजीव कुमार ने हमेशा से दिल्ली में पढ़े-लिखे और मॉडलिंग में करियर बनाया। लेकिन अपने गाँव में डोम समुदाय की दयनीय स्थिति ने उनकी ज़िंदगी की दिशा बदल दी। पिछले 14 सालों से वे बिहार में छुआछुत जैसी सामाजिक कुरूति के खिलाफ़ लड़ रहे हैं।

काथीखेड़ा से लॉस एंजिलस तक, भारत की 'पैड वीमेन' पर बनी फ़िल्म ने जीता ऑस्कर अवॉर्ड!

By निशा डागर

ऑस्कर अवॉर्ड्स की बेस्ट डॉक्युमेंट्री (शोर्ट सब्जेक्ट) कैटेगरी के लिए 'पीरियड. एंड ऑफ़ सेंटेंस' डॉक्युमेंट्री को नामित किया गया है। 'माहवारी' के विषय पर बनी इस डॉक्युमेंट्री की पृष्ठभूमि भारत के उत्तर-प्रदेश में हापुड़ जिले का एक छोटे-सा गाँव काथीखेड़ा है।

मुंबई: दृष्टिहीन लड़की की बहादुरी, लोकल ट्रेन में छेड़खानी कर रहे युवक को सिखाया सबक!

By निशा डागर

मुंबई में एक 15-वर्षीय दृष्टिहीन लड़की अपने पिता के साथ कल्याण से दादर के लिए लोकल ट्रेन में सफ़र कर रही थी। तभी विशाल बलिराम सिंह नाम का एक लड़का उसे गलत तरीके से छूने लगा। पर इस बहादुर लड़की ने घबराने की बजाय आरोपी को अच्छा सबक सिखाया और पुलिस के हवाले कर दिया।

"बड़े 'परफेक्ट' घर को छोटे-से कमरे के लिए छोड़ा... पर अब मैं आज़ाद हूँ!"

By निशा डागर

मुंबई निवासी एक महिला ने ह्यूमन्स ऑफ़ बॉम्बे को बताया कि कैसे उसने अपने पति की नजरंदाजी के चलते घुटन भरे घर को छोड़ अपनी ज़िन्दगी नए सिरे से शुरू की है। वे अब एक छोटा सा स्टॉल चलाती हैं और एक छोटे से कमरे में किराये पर रहती हैं। पर वे अब खुश हैं।

"हर एक सूर्यास्त हमें याद दिलाता है कि सूर्य फिर से उदय होगा!"

By निशा डागर

यह कहानी है एसिड अटैक सर्वाइवर्स की, जो हर रोज एक उम्मीद में जीते हैं कि उनकी ज़िन्दगी फिर से खुशियों से भर सकती है। क्योंकि हर एक सूर्यास्त हमें याद दिलाता है कि सूर्य फिर से उदय होगा।

विले पार्ले कुआं हादसा: बिना अपनी परवाह किये दो युवकों ने बचाई औरतों और बच्चों की जान!

By निशा डागर

मुंबई के विले पार्ले में तृतीय पूजा के समय एक दुर्घटना हो गयी। कुछ औरतें और बच्चे एक बहुत ही पुराने कुए के पास इकट्ठे हुए थे। जिस एक स्लैब से ढका हुआ था। बच्चों के उस पर खेलने की वजह से स्लैब टूट गयी और कुछ औरतें व बच्चे उसमें गिर गये। जिन्हें जिग्नेश सोलंकी और प्रवीन सोलंकी नामक दो लोगों ने बचाया।