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उड़ीसा

आदिवासियों तक स्वास्थ्य सुविधाएँ पहुंचाने के लिए कई किमी पैदल चलता है यह डॉक्टर!

By निशा डागर

"मैंने ठाना कि अगर मरीज़ अस्पताल तक नहीं पहुंच पा रहे हैं तो अस्पताल उन तक पहुंचेगा!"

पिता की मृत्यु के बाद छोड़नी पड़ी थी पढ़ाई, आज 70 बच्चों को पढ़ा रहा है यह शख्स!

By निशा डागर

16 दिसंबर 2016 को राजेंद्र ने 15 बच्चों के साथ 'निशुल्क शिक्षा केंद्र' की शुरुआत की और अब यह पहल 70 बच्चों तक पहुँच चुकी है!

मात्र तीसरी पास, पद्म श्री हलधर नाग की कोसली कविताएँ बनी पीएचडी अनुसंधान का विषय!

By मानबी कटोच

66 वर्षीय हलधर नाग की कोसली भाषा की कविता पाँच विद्वानों के पीएचडी अनुसंधान का विषय भी है। इसके अलावा, संभलपुर विश्वविद्यालय इनके सभी लेखन कार्य को हलधर ग्रंथाबली -2 नामक एक पुस्तक के रूप में अपने पाठ्यक्रम।

उड़ीसा : न स्कूल था न पैसे, फिर भी अपने बलबूते पर किसान की बेटी ने की सिविल सर्विस की परीक्षा पास!

By निशा डागर

रावेनशॉ यूनिवर्सिटी, कटक से पीएचडी कर रहीं संध्या समरत, उड़ीसा के मलकानगिरी जिले के एक छोटे से गाँव सालिमी से हैं। संध्या ने उड़ीसा सिविल सर्विस परीक्षा 2018 में 91वीं रैंक प्राप्त की है। उनका सपना एक प्रशासनिक अधिकारी बनकर अपने जिले और गाँव में विकास करना है।

बाघा जतिन, जिनकी 'जुगांतर पार्टी' से तंग आकर अंग्रेज़ों ने बदल दी अपनी राजधानी!

By निशा डागर

जतिंद्रनाथ मुख़र्जी का जन्म बंगाल के कायाग्राम, कुष्टिया जिला (जो अब बांग्लादेश में है) में 7 दिसंबर 1879 को हुआ था। उन्हें सब 'बाघा जतिन' पुकारते थे। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है। उन्होंने ही 'जुगांतर पार्टी' का नेतृत्व किया। अंग्रेज भी बाघा जतिन से खौफ खाते थे।

'मलकानगिरी का गाँधी' जिससे डरकर, अंग्रेज़ों ने दे दी थी फाँसी!

By निशा डागर

लक्ष्मण नायक का जन्म 22 नवंबर 1899 को कोरापुट में मलकांगिरी के तेंटुलिगुमा में हुआ था। वह भूयान जनजाति से संबंध रखते थे। उन्होंने आदिवासी आधिकारों के लिए ब्रिटिश सरकार के खिलाफ विद्रोह किया। बाद में वे कांग्रेस के अभियान से जुड़ गये। 29 मार्च 1943 को बेरहमपुर जेल में उन्हें फांसी दी गयी।

खुद बाढ़ से जूझते हुए भी इस राज्य ने सबसे पहले की केरल की हर संभव मदद!

By निशा डागर

केरल की बाढ़ में 373 लोगों की जान गयी, लगभग एक मिलियन लोगों को राहत शिविरों में रखा गया, 10,000 किलोमीटर की सड़कें और पुल आदि टूटकर बह गए और न जाने कितने हैक्टेयर फसल बर्बाद हो गयी। ऐसे में सबसे पहली मदद उड़ीसा से मिली। उड़ीसा ने अब तक अन्य कई सहायताओं के साथ 10 करोड़ की मदद दी है।

जानिए कौन था भारत का सबसे छोटा स्वतंत्रता सेनानी, मात्र 12 साल की उम्र में हुआ शहीद!

By निशा डागर

साल 1926 में उड़ीसा के ढेंकनाल ज़िले के नीलकंठपुर गांव में बाजी राउत का जन्म हुआ। उन्होंने बैष्णव पट्टनायक द्वारा स्थापित प्रजामण्डल संगठन की युवा विंग 'बानर सेना' को ज्वाइन किया। बाजी देश के लिए सबसे कम उम्र में शहीद होने वाला सेनानी था।

उड़ीसा: भगवान जगन्नाथ की बाहुड़ा यात्रा के बाद हिन्दू-मुस्लिम समुदाय ने साथ मिलकर की सड़कों की सफाई!

By निशा डागर

बाहुड़ा यात्रा महोत्सव के बाद उड़ीसा के बारीपाड़ा में जो हुआ, वह चर्चा का विषय बन गया है। दरअसल, बाहुड़ा यात्रा के बाद सोमवार को हिन्दू और मुस्लिम, दोनों समुदाय के लोगों ने मिलकर साफ़-सफाई की। 

सुपर 30 से प्रेरित हैं उड़ीसा का 'ज़िन्दगी अभियान'; मिल रही है 20 गरीब बच्चों को मुफ्त मेडिकल कोचिंग!

By निशा डागर

उड़ीसा के भुवनेशवर से ताल्लुक रखने वाले अजय बहादुर सिंह, मेडिकल पढ़ने का ख्वाब रखने वाले बहुत से गरीब बच्चों के लिए उम्मीद की किरण बनकर उभरे हैं। पटना के 'सुपर 30' इंस्टिट्यूट से प्रेरित अजय ने अपनी पहल 'ज़िन्दगी' साल 2010 से शुरू की थी। वे हर साल गरीब तबके के 20 बच्चों को मेडिकल कोचिंग मुहैया कराते हैं।