सुपर 30 से प्रेरित हैं उड़ीसा का ‘ज़िन्दगी अभियान’; मिल रही है 20 गरीब बच्चों को मुफ्त मेडिकल कोचिंग!

उड़ीसा के भुवनेशवर से ताल्लुक रखने वाले अजय बहादुर सिंह, मेडिकल पढ़ने का ख्वाब रखने वाले बहुत से गरीब बच्चों के लिए उम्मीद की किरण बनकर उभरे हैं। पटना के 'सुपर 30' इंस्टिट्यूट से प्रेरित अजय ने अपनी पहल 'ज़िन्दगी' साल 2010 से शुरू की थी।

ड़ीसा के भुवनेशवर से ताल्लुक रखने वाले अजय बहादुर सिंह, डॉक्टर बनने का ख़्वाब रखने वाले बहुत से गरीब बच्चों के लिए उम्मीद की किरण बनकर उभरे हैं।

अजय कभी स्वयं डॉक्टर बनना चाहते थे, लेकिन घर की गरीबी के चलते उनका यह सपना अधूरा ही रह गया। पर आज उसी अजय की कोशिशों से गरीब तबके के छात्रों का डॉक्टर बनने का सपना पूरा हो रहा है। पटना के ‘सुपर 30’ इंस्टिट्यूट के संस्थापक आनंद कुमार से प्रेरित, अजय ने साल 2010 में ‘ज़िन्दगी’ नाम से अपनी पहल शुरू की थी।

अपने इस ‘ज़िन्दगी अभियान’ की आठ साल की यात्रा को याद करते हुए अजय ने आईएएनएस को बताया, “मैंने 2010 में यह पहल शुरू की थी। प्रारंभ में, दो-तीन छात्र कोचिंग के लिए आए थे और साल 2012 में 2-3 छात्र मेडिकल कॉलेज में चुने गए थे। इस साल 18 छात्रों को मेडिकल प्रवेश परीक्षा में चुना गया है।”

जीवन-यापन करने के लिए कभी चाय बेचने वाले अजय आज 20 बच्चों के रहने, खाने और उनकी मेडिकल की परीक्षा के लिए शिक्षा का खर्चा उठाते हैं।

झारखंड के देवघर से आनेवाले अजय साल 2005 में अपने परिवार के साथ भुवनेश्वर आ गए थे। अजय के पिता एक इंजीनियर थे और वे अजय को डॉक्टर बनाना चाहते थे। लेकिन उनके पिता को किडनी की समस्या के चलते किडनी ट्रांसप्लांट का ऑपरेशन कराना पड़ा। इसके लिए उन्हें अपनी सम्पत्ति बेचनी पड़ी।

अचानक बिगड़े घर के हालातों ने अजय के डॉक्टर बनने के सपने को भी बिखेर दिया। लेकिन अपनी ज़िन्दगी की हकीकत को अपनाते हुए अजय ने दूसरों की ज़िन्दगी सँवारने की सोची।

‘ज़िन्दगी अभियान’ के जरिये जिन भी बच्चों का मेडिकल में चयन हुआ, उन्होंने भी जीवन में बहुत सी कठिनाइयों का सामना किया है।

ट्विंकल साहू कुछ साल पहले तक अपने पिता के साथ जगन्नाथ मंदिर के बाहर फूल बेचती थीं। वह हमेशा से डॉक्टर बनने की चाह रखती थीं। एक दिन अजय की नज़र ट्विंकल पर पड़ी; जिसके एक हाथ में फूल तो दूसरे हाथ में किताब थी। ट्विंकल से जब उन्होंने पूछा तो ट्विंकल के आंसुओं ने उसके सपने और घर की गरीबी की कहानी बयान कर दी। आज ट्विंकल ने मेडिकल परीक्षा पास कर ली है और वे इसका श्रेय अजय को देती हैं।

अजय ने ग्रेजुएशन तक पढ़ाई तो की है, लेकिन वे स्वयं नहीं पढ़ाते। इन बच्चों को कोचिंग 15-20 शिक्षकों की टीम देती है। ‘ज़िन्दगी’ को उड़ीसा सरकार से संबंधित प्लस टू अदयन्ता विज्ञान कॉलेज द्वारा फंड मिलता है, जिसका उद्देश्य गरीब बच्चों को अच्छी मेडिकल कोचिंग देना है।

हम अजय के हौंसले व सोच को सलाम करते हैं। उम्मीद है बहुत से लोग उनसे प्रेरित होकर दूसरों के जीवन को सँवारंगें।

( संपादन – मानबी कटोच )


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