खुद बाढ़ से जूझते हुए भी इस राज्य ने सबसे पहले की केरल की हर संभव मदद!

केरल की बाढ़ में 373 लोगों की जान गयी, लगभग 10 लाख लोगों को राहत शिविरों में रखा गया, 10,000 किलोमीटर की सड़कें और पुल आदि टूटकर बह गए और न जाने कितने हैक्टेयर फसल बर्बाद हो गयी। ऐसे में सबसे पहली मदद उड़ीसा से मिली। उड़ीसा ने अब तक अन्य कई सहायताओं के साथ 10 करोड़ की मदद दी है।

केरल के लोगों के लिए जुलाई और अगस्त का महीना हमेशा उनकी यादों में रहेगा, क्योंकि उनके लिए यह इस शताब्दी की सबसे भयानक तबाही थी। इस तरह की प्राकृतिक आपदा जिसने उनके घर-परिवार को उजाड़ दिया और जिसके बारे में सोच कर ही दिल कांप उठे।

केरल के लिए यह शायद समय की विपरीत दिशा में दौड़ने वाला वक़्त था, जहां नागरिकों की ज़िन्दगी हर पल के साथ खतरे में पड़ रही थी। इस बाढ़ में 373 लोगों की जान चली गयी, लगभग एक मिलियन लोगों को राहत शिविरों में रखा गया, 10,000 किलोमीटर की सड़कें और पुल आदि टूटकर बह गए और न जाने कितने हैक्टेयर फसल बर्बाद हो गयी।

अब तक केरल में लगभग 20,000 करोड़ का नुकसान हुआ है। विशेषज्ञों की माने तो केरल को फिर से सामान्य होने में अभी कई साल लगेंगें। लेकिन इस एक आपदा ने साबित कर दिया कि केरल की स्थिति ने न केवल देश में बल्कि अन्य देशों के लोगों को भी प्रभावित किया है। तभी तो हर जगह से केरल के लिए मदद आ रही है।

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देश में भी कई राज्यों ने उदारता के साथ राहत कोष के लिए फण्ड दिए, जबकि केंद्र अब तक किसी ठोस योजना के साथ आगे नहीं आया है। सबसे पहले केरल को मदद पहुंचाने वाला राज्य उड़ीसा था, जिसने राहत कोष में 10 करोड़ रूपये दिए। हालांकि, इस खबर को मुख्यधारा मीडिया में कोई जगह नहीं मिली।

उड़ीसा सरकार की उदारता और सहानुभूति के इस काम को लेकर एक फेसबुक यूजर ने दिल छु जाने वाली पोस्ट लिखी है जो सोशल मीडिया पर लोगों का दिल जीत रही है।

बहुत से लोग इस असाधारण समर्थन की सराहना कर रहे हैं जो एक तटीय राज्य ने दूसरे तटीय राज्य को दिया है।

मंगलवार को वी. बी रौत्रे द्वारा अपलोड किया गया यह पोस्ट हाइलाइट करता है कि बाढ़ के कारण भारी नुकसान और क्षति के बावजूद उड़ीसा ने केरल की सहायता में कोई देरी नहीं की और तुरंत मदद भिजवाई। साथ ही पोस्ट में लिखा गया है कि कैसे अपने राज्य में मौसम से संबंधित आपदाओं का सामना करने के साथ-साथ उन्होंने किसी अन्य राज्य के दर्द को समझा।

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केरल की बाढ़ में दिल छु जाने वाली सबसे पहली कहानी केरल से नहीं बल्कि उड़ीसा से आयी। 16 अगस्त को बीमार अटलजी से मिलने से पहले मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने केरल की सहायता के लिए 5 करोड़ का दान देने की घोषणा की।

एक दिन बाद, 245 उड़ीसा फायर सर्विसे कर्मियों को नौकाओं, बीए सेट और प्राथमिक चिकित्सा किट जैसे आपातकालीन उपकरणों के साथ केरल भेजने की एक और घोषणा हुई।

उस घोषणा के दो दिन बाद, ओडिशा सरकार ने 5 करोड़ रूपये देने की घोषणा की और केरल के लिए 8 करोड़ रुपये के पॉलीथीन शीट भेजे। उड़ीसा की इस टीम ने फेलिन, हुदहुद और रायगढ़ बाढ़ के दौरान लाखों लोगों को बचाया था, जिन्होंने केरल में सबसे पुराने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 2,000 से अधिक लोगों को बचाया।

अगले दिन उड़ीसा के अनुरोध पर उड़िया स्वयंसेवकों को वापिस लाने के लिए केरल से एक विशेष ट्रेन शुरू की गई थी। केरल से उड़ीसा की हर ट्रेन में, दो कोच आरक्षित थे। उड़ीसा ने और भी विशेष ट्रेनों को निधि देने की पेशकश की, जिनमें से दो पहले ही शुरू हो चुकी हैं।

श्रम और ईएसआई विभाग और विशेष राहत आयुक्त के कार्यालय की एक समर्पित टीम ने बाढ़ के बीच फंसे सभी 120 उड़िया लोगों को वापस लाने के लिए बचाव और राहत गतिविधियों के लिए केरल में एक संचालन केंद्र स्थापित किया है।

शायद हमारे पास नौकरियां नहीं हैं।
शायद हमारे पास सभी बड़े उद्योग नहीं हैं।
शायद हमारे पास स्वास्थ्यसेवा के लिए सबसे अच्छा बुनियादी ढांचा नहीं है।

पर कुछ ऐसा है जो हमारे पास था और हमेशा रहेगा। वह है आपदाओं से लड़ रहे लोगों के लिए करुणा। और हम हर क्षेत्र, धर्म, पंथ, भाषा व जात से ऊपर उठकर दिल से उनकी मदद करना चाहते हैं।

जब मैं यह लिख रहा हूँ, तब उड़ीसा खुद बाढ़ से लड़ रहा है। पिछले डेढ़ महीने में लगभग 3 लाख लोग इससे प्रभावित हुए हैं। लेकिन हम केरल को देखते हैं, और महसूस करते हैं कि मानवता ‘हमारा’ और ‘तुम्हारा’ से कहीं अधिक है।

लोगों की जान बचा पाने की भावना बहुत संतुष्टि देने वाली है। स्वयं को उड़िया कह पाने की भावना। शायद अतीत से हमारी सीख हमें और जान बचाने के लिए प्रेरित करें। बंदे उत्कल जननी!

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मूल लेख: लक्ष्मी प्रिया

संपादन – मानबी कटोच


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