चार साल की उम्र में नीबू का एक पेड़ लगाने के बाद पौधों से ऐसा प्यार हुआ कि 10 साल की ईहा दीक्षित ने International Young Eco Award सहित 167 अवॉर्ड जीत लिए।
आर्थिक मज़बूरी में हिम्मत करके बढ़ाया एक कदम, आज उत्तराखंड की रामा बिष्ट के लिए सफलता की सीढ़ी बन चुका है। जिसके दम पर वह अपने तीनों बच्चों को अच्छा भविष्य देने के साथ-साथ कई और महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बना रही हैं।
न सरकारी नौकरी का लालच, न किसी फैंसी प्राइवेट जॉब का शौक़, छत्तीसगढ़ के इस गांव में हर कोई तकनीक और सोशल मीडिया के दम पर बन रहा है आत्मनिर्भर। सबसे अच्छी बात तो यह है कि इस काम में स्थानीय प्रशासन भी दे रहा है इनका साथ।
कुली की नौकरी करने वाले नागेशु पात्रों अच्छे से जानते थे कि आर्थिक मुश्किलों से लड़कर पढ़ाई करना कितना मुश्किल होता है। इसलिए उन्होंने अपने जैसे दूसरे जरूरतमंद बच्चों की मुश्किलें कम करने के लिए खुद के दम पर शुरू की फ्री कोचिंग।
अपने इकलौते बेटे को खोने के बाद कभी खुद जीने की चाह खो चुके विवेक शर्मा आज अपने प्रयासों से 800 से ज़्यादा लोगों को जिन्दा रहना और जिंदगी से प्यार करना सीखा चुके हैं।