कोयम्बटूर (तमिलनाडु) की 23 वर्षीया राधिका जेए को हड्डियों की एक दुर्लभ बीमारी है, जिस वजह से वह ज़्यादा बाहर आ-जा नहीं सकतीं। लेकिन अपने हुनर के दम पर अब वह घर बैठे, महीने के 8-10 हज़ार रुपये कमा लेती हैं।
पटना में रहने वाले सतीश चरणपहाड़ी और विभा चरणपहाड़ी, साल 2004 से अपने छत पर गार्डनिंग कर रहे हैं। उन्होंने अपने टेरेस को ही एक खूबसूरत खेत बना दिया है, जिसकी देखभाल दोनों मिलकर करते हैं।
मिलिए पुणे के निखिल सावलापुरकर और परिधि गुप्ता से, जिन्होंने सात महीने में लद्दाख की यात्रा किसी बाइक या जीप के बजाय पैदल की है। मगर उन्होंने क्यों किया ऐसा और क्या सीख मिली इससे उन्हें, जानने के लिए ज़रूर पढ़ें उनकी कहानी।
मिलिए महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव के रहनेवाले हरेश शाह से, जो हाल में अपने बनाए दुनिया के सबसे बड़े बर्ड फीडर के कारण काफ़ी मशहूर हो गए हैं। जानिए कैसे मिली उन्हें इस अनोखे काम को करने की प्रेरणा।
मिलिए 57 वर्षीया निष्ठा सूरी से, जिन्होंने 55 की उम्र में जीवन की एक नई पारी की शुरुआत की और अपनी हॉबी को अपना बिज़नेस बना लिया। पढ़ें, उनके हैंडमेड होम डेकॉर बिज़नेस के बारे में।
मिलिए उत्तर प्रदेश के चिरोड़ी गांव के 25 वर्षीय मास्टर सचिन बैंसला से, जिन्हें एक समय पर स्टार्टअप शुरू करने के लिए ढेरों ताने सुनने पड़े थे। लेकिन आज उनका पूरा गांव उन्हीं के नाम से जाना जाता है। पढ़ें, इस युवा के सफलता की कहानी।
'प्रभावती वेलफेयर एंड एजुकेशन ट्रस्ट' के ज़रिए पंढरपुर (बनारस) के मनोज यादव, 15 गांवों के 500 गरीब बच्चों को उनकी बस्ती में जाकर पढ़ा रहे हैं। पढ़ें, कैसे मिली उन्हें इस काम को शुरू करने की प्रेरणा!
मिलिए नोएडा के रहनेवाले अक्षय भटनागर से जो पेशे से एक कंप्यूटर इंजीनियर हैं, और काम में काफ़ी बिज़ी होने के बावजूद भी गार्डनिंग के लिए समय निकाल ही लेते हैं। उनके घर की हरियाली देखकर हर कोई चौक जाता है।