18 किस्मों के फल, एक तालाब और फूलों की वादी दिखती है पटना के इस टेरेस गार्डन में

patna garden (6)

पटना में रहने वाले सतीश चरणपहाड़ी और विभा चरणपहाड़ी, साल 2004 से अपने छत पर गार्डनिंग कर रहे हैं। उन्होंने अपने टेरेस को ही एक खूबसूरत खेत बना दिया है, जिसकी देखभाल दोनों मिलकर करते हैं।

हर दिन सुबह चार बजे से पटना के सतीश चरणपहाड़ी और विभा चरणपहाड़ी अपने टेरेस गार्डनिंग करते दिख जाएंगे। वहीं वे मिलकर चाय की चुस्की भी लेते हैं और सुबह का समय सुकून से बिताते हैं। 

साल 2004 में, जब से वे अपने इस घर में रहने आए, तब से ही यह गार्डन उनका आशियाना बन गया है, जिसे उन्होंने अपनी मेहनत से बड़े खूबसूरत ढंग से सजाया है। 

इन टेरेस गार्डन्स में ढेरों पौधे तो लगे ही हैं, साथ में उन्होंने यहां एक छोटा सा मछली का तालाब भी बनाया है। यानी शहर के बीचों-बीच बना उनका घर आपको किसी गांव में रहने का अनुभव दे सकता है। 

vibha and satish at their terrace garden in patna
सतीश चरणपहाड़ी और विभा चरणपहाड़ी पटना में अपने टेरेस गार्डन में

द बेटर इंडिया से बात करते हुए विभा बताती हैं, “आज के दौर में ज़मीन और जगह मिलना काफ़ी मुश्किल है। लेकिन पौधे लगाने के अपने शौक़ के कारण हमने छत को ही बगीचा बना लिया। सालों से हम एक ऐसा घर खोज रहे थे, जिसमें हमें छत भी मिले और साल 2004 में बड़ी मुश्किल से हमें यह घर मिला।”

कौन सा पौधा लगाकर की थी टेरेस गार्डनिंग की शुरुआत?

दरअसल, विभा को शादी से पहले गार्डनिंग में कोई रुचि नहीं थी, जबकि सतीश को हमेशा से पौधे लगाने का शौक़ रहा है। सालों एक-दूसरे के साथ रहते हुए दोनों का ही पेड़ पौधों के प्रति लगाव बढ़ गया।  

उनके टेरेस गार्डन को उन्होंने दो भागों में बाँट दिया है। छत पर ही 400 स्क्वायर फ़ीट में उनका किचन गार्डन है और फ्लावर गार्डन लगभग 700 स्क्वायर फ़ीट का है। 

सतीश बताते हैं, “मैं 1990 से ही जहाँ भी, जिस घर में रहा वहां गमले में पौधे उगाता रहता था। जगह कम थी इसलिए पौधे कम थे। लेकिन तब भी 12 इंच के बड़े गमले में मैं टमाटर, मिर्च जैसी सब्जियां उगाता था।”  

patna terrace garden in
पटना टेरेस गार्डन

विभा पटना में एक क्लब से जुड़ी हैं और अलग-अलग तरह की सोशल एक्टिविटी में भाग लेती रहती हैं। जबकि 60 वर्षीय सतीश, खुद का काम संभालते हैं। वहीं, उनके दोनों बच्चे बाहर रहते हैं। ऐसे में गार्डन, उनके लिए साथ में समय बिताने का भी एक बढ़िया ज़रिया है। 

अपने गार्डन के सबसे पहले पौधे के बारे में बात करते हुए विभा बताती हैं कि जब वे यहां रहने आए थे, तब उन्होंने मात्र तीन फ़ीट का एक ऐरोकेरिया का पौधा लगाया था, जिसे लोग क्रिसमस प्लांट के नाम से जानते हैं। आज वह काफ़ी बड़ा पेड़ बन चुका है और यह उनके गार्डन की खूबसूरती में चार चाँद लगाता है। 

एक-दो नहीं, 18 किस्मों के दुर्लभ फल उगते हैं इस गार्डन में 

winter flowers
विंटर फ्लावर्स

उनके गार्डन में ढेरों फूल और सजावटी पौधे भी लगे हुए हैं। सतीश ने बताया कि वह टेरेस गार्डनिंग के दौरान, हमेशा मौसम के हिसाब से फूल के पौधे बदलते रहते हैं। वहीं, मौसमी सब्जियों को भी जगह और सीज़न के अनुरूप लगाते हैं। सब्जियों को उगाने के लिए उन्होंने छत पर स्पेशल ट्रीटमेंट करके क्यारियां बनाई हैं और बाक़ी के पौधे गमले में लगे हुए हैं। 

इसके अलावा, सतीश को अलग-अलग तरह के फलों के पौधे लगाने का भी काफ़ी शौक़ है। वह बताते हैं, “मेरी छत पर 18 किस्मों के फल लगे हुए हैं। मैं जहाँ भी घूमने जाता हूँ, वहाँ से कुछ नए पौधे भी लेकर आता हूँ। अपनी कश्मीर ट्रिप से मैं ‘लोकाट’ नाम का एक लोकल फल का पौधा लेकर आया था, जो चार सालों से मेरे गार्डन में लगा हुआ है।”

sateesh and vibha while doing gardening
गार्डनिंग करते हुए विभा और सतीश

वहीं, अपनी असम ट्रिप से वह अंजीर और पीच के पौधे लेकर आए थे। आज उन पौधों में अच्छे फल भी उगते हैं। हाल में उन्होंने चेरी का पौधा भी लगाया है। यानी कई तरह के जैविक फलों का स्वाद उन्हें अपने गार्डन से ही मिल जाता है।  

घर आने वाला हर मेहमान करता है उनके टेरेस गार्डनिंग की तारीफ़ 

सतीश और विभा की मदद के लिए एक माली भी नियमित रूप से काम पर आता है। लेकिन सतीश का मानना है कि पर्सनल केयर के बिना गार्डन का ख़्याल रखना मुश्किल है। इसलिए वह हर दिन दो से तीन घंटे खुद गार्डनिंग करते हैं। पौधों के साथ-साथ उनके गार्डन में एक छोटा सा पॉन्ड भी बना हुआ है, जिसमें कई मछलियां भी हैं।  

इस तरह उनका गार्डन गांव के किसी खेत से कम नहीं लगता, जहाँ फल-फूल और सब्जियों के साथ-साथ तालाब भी मिलता है। उनके घर में आया हर मेहमान उनके गार्डन में घूमने ज़रूर जाता है और छत पर लगे झूले पर बैठना सबको पसंद आता है।  

terrace garden
टेरेस गार्डन

सतीश के पास आपको तुलसी और गुड़हल जैसे फूलों के मदर प्लांट्स हमेशा मिल जाएंगे। इसलिए कई लोग उनसे ये पौधे मांगते भी रहते हैं। उनको देखकर उनके अपार्टमेंट में कई और लोग भी टेरेस गार्डनिंग करने लगे हैं।  

इस तरह से शहर में बढ़िया हरियाली फैलाकर यह दम्पति कइयों के लिए प्रेरणा बन रहा है। आशा है कि आपको भी उनसे पौधे लगाने और गार्डन बनाने की प्रेरणा ज़रूर मिली होगी।  

अगर आप भी ऐसा कोई अनोखा काम कर रहे हैं, तो अपने बारे में हमें ज़रूर लिख भेजें।  

हैप्पी गार्डनिंग!


संपादन – भावना श्रीवास्तव

यह भी पढ़ेंः स्कूटर, पंखे, बेसिन.. घर के कबाड़ का इतना बढ़िया इस्तेमाल आपने किसी गार्डन में नहीं देखा होगा

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

Let us know how you felt

  • love
  • like
  • inspired
  • support
  • appreciate
X