खाद्य इतिहासकार रेबेका अर्ल कहती हैं, "आलू दुनिया भर में होता है और सभी लोग इसे अपना समझते हैं।" वह इसे दुनिया का 'सबसे सफल प्रवासी' मानती हैं। आलू की कहानी किसी एक देश या भौगोलिक क्षेत्र की नहीं है। इसकी कहानी बताती है कि पिछली कुछ पीढ़ियों में इंसान ने ज़मीन और खाने के साथ अपना रिश्ता कैसे बदला है।
कभी मज़दूरी करने वाली गोरखपुर की कोइला देवी आज एक सफल महिला किसान बन चुकी हैं। बाक़ी किसानों को खेती की बारीकियां समझती हैं और अन्य महिलाओं की भी मदद कर रही हैं।
बेंगलूरु की प्रतिमा अदिगा पेशे से शेफ हैं और जब से उन्हें बाहर मिलने वाली सब्जियों के केमिकल के बारे में पता चला, तब से उन्होंने घर पर सब्जियां उगाना शुरू कर दिया। आज वह खुद के साथ-साथ शहर के 170 लोगों को गार्डनिंग सिखा रही हैं।
दिल्ली के रहने वाले अजय कुमार झा की छत पर 1000 से ज्यादा पेड़-पौधे लगे हुए हैं, जिनमें मौसमी सब्जियों के साथ-साथ अंगूर, अनार, चीकू, अमरुद, संतरा, नींबू, तुलसी, अश्वगंधा, गिलोय, एलोवेरा, नीम, धतूरा, अपराजिता, वैजयंती, रुद्राक्ष जैसे पेड़-पौधे शामिल हैं।
गर्मियों के मौसम में आप अपने घर की छत या बालकनी में उगा सकते हैं, लौकी, पेठा, तोरई, करेला, टिंडा जैसी बेल वाली सब्जियां। इसके साथ, भिंडी, टमाटर, चौलाई साग आदि उगा सकते हैं।
विवेक ने जब खेती करना शुरू किया, उन्होंने तब ही ठान लिया था कि वह इसे व्यवसाय की तरह आगे बढ़ाएंगे क्योंकि आने वाला जमाना होम-डिलीवरी का है और किसानों को उसी तरह से ढलना होगा!
उमेद सिंह पिछले 12 सालों से गार्डनिंग कर रहे हैं और उनके यहाँ जो भी उपज होती है, वह उनके परिवार के साथ-साथ उनके पड़ोसियों और रिश्तेदारों के यहाँ भी जाती है!