मेरठ की सुमिता सिंह जब भी अपने बचपन को याद करतीं, उन्हें असम की हरियाली याद आती। पर यहाँ न आँगन था, न छत! फिर क्या, उन्होंने अपनी छोटी सी बालकनी में ही 300 से ज़्यादा पौधे लगा दिए। आप भी लीजिए उनसे बागवानी के कुछ टिप्स।
"पिछले तीन सालों से हमें सिर्फ़ लहसुन, अदरक और प्याज-टमाटर जैसी सब्जियां खरीदने के लिए ही सुपरमार्केट जाने की जरूरत पड़ती है। लॉकडाउन के दौरान हमारे टैरेस गार्डन ने हमें काफी सब्जियां दीं" -वसुंधरा नरसिम्हा
स्वाति का मानना है कि जब कॉलेज में डिग्री और ऑफिस में प्रोमोशन के लिए हम सालों इंतज़ार करते हैं तो गार्डनिंग और स्टार्टअप जैसी चीज़ों में तत्काल परिणाम की आशा क्यों रखते हैं?
सोसाइटी में बिना एक भी रूपए खर्च किये एक सोलर पॉवर प्लांट लगाया गया है जिससे बिजली उत्पादन होता है और हर माह 40 हज़ार रूपए की बचत भी होती है। जानिये कैसे!
महामारी के इन दिनों में लोग ज़्यादातर घर पर ही सब्जियां व फल उगाने का प्रयास कर रहे हैं, ऐसे में घरों से न निकलते हुए बीजों को ऑनलाइन आर्डर किया जा सकता है।
नीला के टैरेस गार्डन की सबसे खास बात यह है कि यहाँ पौधे उगाने के लिए वह मिट्टी की बजाय घर पर तैयार की गई कंपोस्ट का इस्तेमाल करती हैं। यह कंपोस्ट सूखे पत्ते, रसोई का कचरा और गोबर के मिश्रण से बनाया जाता है।
डॉ. शिवानी कालरा आज अपने घर की छत पर थैलियों में तरबूज़ और अन्य सब्जियाँ उगा रही हैं, लेकिन कालरा कहती हैं कि यहाँ तक पहुँचना आसान नहीं था। पहले उन्होंने टमाटर उगाने की कोशिश की लेकिन असफल रहीं। बाद में आलू बोए लेकिन वहाँ भी सफलता हाथ नहीं लगी।