साल 2019 में, आईआईटी हैदराबाद के प्रोफेसर दीपक जॉन मैथ्यू ने अपने घर के बगीचे में टैपिओका लगाया। इसके करीब 8 महीने बाद, उन्हें 24 किलो टैपिओका की फसल मिली, जो औसतन 6 किलो के अनुमानित उपज से चार गुना ज्यादा था।
रिटायरमेंट के बाद 63 वर्षीया राजेश्वरी ने अपने गार्डनिंग के शौक को पूरा करने का मन बनाया और अपने छत पर बागवानी शुरू कर दी, आज उनके टेरेस गार्डन में 200 से अधिक पौधे हैं।
बेंगलुरु में रहने वाली अश्विनी गजेन्द्रन पिछले 3 सालों से अपनी छत पर हर तरह के फल-फूल और साग-सब्जियां उगा रहीं हैं और उन्हें अपने गार्डन से इतनी उपज मिलती है कि वह बाहर से न के बराबर सब्जियां खरीदतीं हैं!
नई दिल्ली में रहने वाले अमित चौधरी करीब 3 साल पहले फैशन डिजाइनिंग में ग्रेजुएशन करने के बाद किसी वजह से डिप्रेशन में चले गए थे। इस वजह से वह तय नहीं कर पा रहे थे कि उन्हें जिंदगी में करना क्या है। इसके बाद उन्होंने बागवानी शुरू करने का फैसला किया, जो बचपन से ही उनका शौक था।
कमल की खेती किसी स्थायी जल निकाय में की जाती है, लेकिन आज उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में अपने छत पर 100 से अधिक पौधों की बागवानी करने वाली संगीता श्रीवास्तव गमले में कमल उगाने का तरीका साझा कर रही हैं।