नेयवेली के रहने वाले इंजीनियरिंग प्रोफेसर थायुमानवन कुनापालन, छत पर बागवानी और ऑर्गेनिक खेती करते हैं। उनका परिचय उनके फेसबुक कवर से ही अच्छी तरह से मिल जाता है। कवर पर एक पेंटिंग लगी है, जिसमें दो बैलों के साथ ज़मीन जोतते किसान की तस्वीर है। उनके सोशल मीडिया बायो पर लिखा है “पैशनेट अर्बन गार्डनर” और उनके बारे में यह कहना बिल्कुल सही भी है, क्योंकि वह अपनी छत पर टेरेस गार्डनिंग और थोड़ी सी ज़मीन पर ऑर्गेनिक खेती कर ढेरों फल व सब्जियां उगाते हैं।
थायुमानवन पोंडीचेरी के कराईकल शहर में पले-बढ़े। घर पर उनके पिता कुनापालन ने एक सुंदर बगीचा बनाया हुआ था, जहाँ वह कई तरह के फूल, सब्जियां और औषधीय जड़ी बूटियां उगाया करते थे। बचपन में अक्सर थायुमानवन बागवानी में अपने पिता की मदद किया करते थे। धीरे-धीरे इस काम में उनकी रुचि बढ़ने लगी और आगे चलकर यह उनका एक जुनून बन गया।
पेशे से थायुमानवन इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर हैं और यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, पनरुति में पढ़ाते हैं। 2015 तक वह एक किराए के मकान में रह रहे थे, जहाँ जगह की कमी थी। इसी वजह से बागवानी के अपने शौक़ को वह तब आगे नहीं बढ़ा पाए। लेकिन नेयवेली में अपने घर में शिफ्ट होने के बाद, चीज़ें बदलीं और अब थायुमानवन अपने घर की छत पर ही बहुत कुछ उगा रहे हैं।
छत पर बागवानी के साथ ही फ्रिज में उगाते हैं हज़ारों पौधे

39 वर्षीय थायुमानवन कहते हैं, “मेरे पास 1300 स्क्वायर फीट की छत और घर के पीछे 5.5 सेंट ज़मीन है। ये दोनों जगह मैं पूरी तरह से ऑर्गेनिक खेती के लिए इस्तेमाल करता हूँ। प्याज़ और लहसुन को छोड़कर लगभग सभी सब्जियों की खेती यहाँ ऑर्गेनिक तरीक़े से की जाती है।”
अपने परिवार की मदद से वह अब बैंगन, भिंडी, टमाटर, मिर्च, खीरा, चुकंदर, मूली, शकरकंद, सहजन, केला, लौकी और सभी तरह की लताएं उगाते हैं। दिलचस्प बात यह है कि इन सभी सब्जियों को छत पर फैले 150-200 ग्रो बैग्स और गमलों में उगाया जाता है। इसके अलावा, थायुमानवन स्क्रैप डीलर्स से कम क़ीमत में पुराने रेफ्रिजरेटर ख़रीदकर, उमसें कई तरह के पौधे उगाते हैं। वह बताते हैं, “आज मेरे छत पर मिट्टी और पौधों से भरे 20-25 रेफ्रिजरेटर हैं।”
घर में ही बनाते हैं छत पर बागवानी के लिए ज़रूरी उत्पाद

जब थायुमानवन ने छत पर बागवानी करना शुरू किया था, तब अच्छी पैदावार पाने के लिए बाज़ार से वर्मीकम्पोस्ट ख़रीदते थे। लेकिन अब सॉयल मिक्स से लेकर पेस्टिसाइड तक सब कुछ वह खुद तैयार करते हैं। वह बताते हैं, “मैं फर्टिलाइज़र पर बहुत पैसे ख़र्च करता था। लेकिन जब YouTube के बारे में पता चला, तो मैंने कुछ अर्बन गार्डन एक्सपर्ट को फॉलो करना शुरू किया। उनके वीडियोज़ देखकर मुझे भरोसा हुआ कि घर के बने कृषि उत्पाद ही ज़्यादा अच्छे हैं।”
पौधों को उपजाऊ बनाने के लिए जीवामृत जैसे खेती के मिश्रण वह खुद बनाते हैं। इसके अलावा, वह नीम के तेल और मिर्ची/अदरक-लहसुन का पेस्ट जैसे प्राकृतिक कीटनाशक भी तैयार करते हैं। वह कहते हैं, “मैं अपने घर के बाहर से ही 20-25 ग्रो बैग्स में गाय का गोबर इकट्ठा कर लेता हूँ।”
थायुमानवन ने अपने खेत का नाम ‘नीलावनम्’ रखा है। वह कहते हैं, “मेरी बेटी का नाम नीला है और ‘वनम्’ का मतलब है जंगल।”
छत पर बागवानी करने का सस्टेनेबल तरीका

पारंपरिक बागवानी से अलग, थायुमानवन अपने बगीचे की मिट्टी में कोकोपीट नहीं मिलाते हैं। वह लोकल दुकानदारों से गन्ने का कचरा (खोई) इकट्ठा कर उसे फिर से प्रॉसेस करते हैं। फिर इस खाद को मिट्टी और गाय के गोबर में, बराबर मात्रा में मिलाया जाता है और 90 दिन बाद इसमें बीज बोते हैं।
थायुमानवन कहते हैं, “कोकोपीट ख़रीदकर पैसे बर्बाद करने की कोई ज़रूरत नहीं है, यह सस्टेनेबल उपाय भी नहीं है। इसका असर लंबे समय तक नहीं रहता है। जबकि मैं जो मिश्रण तैयार करता हूँ उसका इस्तेमाल तीन साल तक किया जा सकता है। इसके अलावा, मैंने किचन वेस्ट से भी खाद तैयार की है, जिसे कभी-कभी मिट्टी में मिलाता हूँ।”
छत पर बागवानी करने वाले इस अर्बन गार्डनर का कहना है कि इस तरह तैयार किया गया सॉयल मिक्स, जंगल की मिट्टी जितना पोषक और ऑर्गेनिक होता है। इन तरीक़ों को अपनाकर कोई भी ज़्यादा से ज़्यादा सब्जियां उगा सकता है।
छत पर बागवानी, ऑर्गेनिक खेती के साथ करते हैं फल-सब्जियों का बिज़नेस

थायुमानवन कहते हैं, “शुरुआत में घर पर उगने वाले फल और सब्जियां सिर्फ़ मेरा परिवार ही खाता था, लेकिन अब मैं अतिरिक्त उपज को बेचता हूँ और इससे हर महीने 2,000 रुपये तक कमा लेता हूँ। हालांकि मेरा मक़सद पैसे कमाना नहीं है, बल्कि मैं ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक बिना केमिकल वाली शुद्ध चीज़ें पहुँचाना चाहता हूँ। मैं हर किसी के लिए ऑर्गेनिक फल और सब्जियां अपने घर में नहीं उगा सकता, लेकिन मैं लोगों को अच्छे बीज के साथ-साथ ऑर्गेनकि खेती के सुझाव ज़रूर देता हूँ।”
वह यह भी कहते हैं कि बाक़ी प्रोडक्ट्स की तरह मिट्टी को रिसायकल करना भी बहुत ज़रूरी है, और गन्ने की खोई का इस्तेमाल करके हम ऐसा कर सकते हैं। वह पूछते हैं, “अगर आप हर बार बीज बोने के लिए एक नए सॉइल मिक्स का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो ऑर्गेनिक खेती का क्या मतलब है?”
थायुमानवन 250 मेंबर्स वाले एक व्हाट्सऐप ग्रुप के ज़रिए ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स और बीज भी बेचते और ख़रीदते हैं।
इंटीग्रेटेड फार्मिंग, बायोगैस प्लांट, और क्या है आगे की योजना?
छत पर बागवानी करनेवाले थायुमानवन बताते हैं, “लाल और हरा मालाबार पालक मेरे बगीचे की स्टार फ़सल है और अच्छी मात्रा में उगती है। बहुत से, ख़ास करके मेरे साथ काम करने वाले लोग, मूली भी मांगते हैं, जो कि बाज़ार में आसानी से नहीं मिलती।”
उन्होंने इंटीग्रेटेड फार्मिंग की तरफ़ भी काम शुरू कर दिया है। इसके लिए उन्होंने मुर्गी और बत्तख के साथ पोल्ट्री फार्मिंग शुरू की है और जल्द ही एक बायोगैस प्लांट सेटअप करने की भी प्लानिंग है। ऑर्गेनिक खेती के इस काम में उनकी पत्नी और दो बेटियां भी उनकी पूरी मदद करती हैं।
अंत में वह कहते हैं, “अगर आप भी अपनी छत पर एक गार्डन बनाने की सोच रहे हैं या फिर ऑर्गेनिक खेती करना चाहते हैं, तो अब वक़्त है यह काम शुरू करने का। अपने और अपने परिवार की सेहत के बारे में सोचकर आपको भी ऑर्गेनिक खेती करने की प्रेरणा मिलेगी, जैसे मुझे मिलती है।”
संपादन – भावना श्रीवास्तव
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