जूली ने अपने घर में काम करने वाली दीदी के बेटे को पढ़ाना शुरू किया था, जब उन्हें महसूस हुआ कि स्लम में और भी बहुत बच्चे हैं, जिन्हें शिक्षा से जोड़ना ज़रूरी है!
स्लम सॉकर ने पहले 'झोपड़पट्टी' फुटबॉल से स्लम में पले-बढ़े बच्चों को पहचान दिलाई और अब फुटबॉल के ज़रिए ही वे मुक-बधिर बच्चों को एक नयी पहचान दे रहे हैं!