गुजरात के रहनेवाले महेंद्रसिंह जाला पिछले 10 वर्षों से भी अधिक समय से रेन वॉटर हार्वेस्टिंग कर रहे हैं। सबसे खास बात यह है कि महेंद्र सिंह ठीक तरह से देख नहीं पाते। उनकी आंखों की 90 फीसदी रोशनी कम है। लेकिन फिर भी हर मानसून में वह करीब एक लाख लीटर पानी बचाते हैं।
गुजरात के हेमंत त्रिवेदी एक सच्चे पर्यावरण प्रेमी हैं। वह घर की बोरवेल में बारिश का तकरीबन तीन लाख लीटर पानी जमा करते हैं और सालभर उपयोग करते हैं। साथ ही, मानसून के दौरान अपने आस-पास जितना हो सके पौधे लगाते हैं।
पढ़िए गुजरात के इस शिक्षक दंपति की कहानी, जिनका घर पूरी तरह से प्रकृति पर आधारित है। बिजली से लेकर पानी तक, यहाँ सबकुछ सोलर और रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम पर चलता है।
MBA की डिग्री कर चुके, सत्यदेव गौतम, जब हरियाणा के पलवल जिले के भिडूकी गाँव के सरपंच बने, तब उन्होंने गाँव में बारिश के पानी को बचाने की मुहीम छेड़ी और आज यह गाँव हर साल 25 लाख लीटर बारिश का पानी बचाता है। जानिये कैसे कर दिखाया गाँववालों ने यह कमाल।
उत्तर प्रदेश के रामस्नेही घाट में 43 हेक्टेयर के विशाल क्षेत्र में सराही झील है। कभी यह झील कई पक्षियों का बसेरा हुआ करता था, लेकिन पिछले कुछ समय से रखरखाव के अभाव में इसकी स्थिति काफी बदहाल थी। लेकिन, फरवरी, 2019 में यहाँ के नए एसडीएम के तौर पर राजीव शुक्ला की तैनाती हुई और कुछ ही महीने में उन्होंने इसका कायापलट कर दिया।
सालों के अथक प्रयास के बाद, रमन कांत उत्तर-प्रदेश की काली नदी के उद्गम को पुनर्जीवित करने में सफल रहे हैं। 598 किमी तक बहने वाली इस नदी के किनारे 1200 गाँव और कस्बे बसे हुए हैं!
"जब मैंने किसानी शुरू की थी, तब मैं साइकिल से आता-जाता था। आज मेरे पास 2 कार और 7 मोटरसाइकिल हैं। मैंने कभी नहीं सोचा था कि पानी बचाने से मेरी ज़िंदगी बदल जाएगी। यह वाकई अनमोल है।"