पहले जहां पारंपरिक खेती से घर का गुजारा मुश्किल से चलता था, वहीं आज अपनी मेहनत और कुछ नए प्रयासों की बदौलत लाखों कमा रहे हैं, महाराष्ट्र के प्रगतिशील किसान तुकाराम गुंजल।
हर घर में खाया जाने वाला, सुपर फूड केला हमारे स्वास्थ्य के लिए तो अच्छा है ही, इसके छिलके भी कम गुणकारी नहीं हैं। केले के छिलके से बनाई गई खाद, पौधों के विकास के लिए बहुत अच्छी होती है। चलिए जानें, क्या है इसे बनाने और इस्तेमाल करने का तरीका।
अपने घर के आस-पास की जगहों पर तो सभी पौधे लगाते हैं, लेकिन मध्यप्रदेश के धार जिले के अमृत पाटीदार पिछले 36 सालों से सार्वजनिक जगहों पर पेड़ लगाने का काम कर रहे हैं।
केरल के त्रिशूर की रहनेवाली मारिया कुरियाकोस ने, आमतौर पर फेंक दिए जाने वाले नारियल के खोल से कटोरे और दूसरी कई कमाल की चीज़ें बनाने के लिए ‘थेंगा’ (Thenga) को लॉन्च किया। आइए जानते हैं, कैसे मारिया के अटके कदम को उनके माता-पिता द्वारा दी गई रफ्तार और उनकी सफलता की कहानी।
मेरठ की सुमिता सिंह जब भी अपने बचपन को याद करतीं, उन्हें असम की हरियाली याद आती। पर यहाँ न आँगन था, न छत! फिर क्या, उन्होंने अपनी छोटी सी बालकनी में ही 300 से ज़्यादा पौधे लगा दिए। आप भी लीजिए उनसे बागवानी के कुछ टिप्स।
कुछ दिनों से इटेलियन लक्ज़री फ़ैशन ब्रांड, Gucci का एक 'फ्लोरल एम्ब्रायडरी ऑर्गेनिक काफ्तान' चर्चा का विषय बना हुआ है। जिसकी वजह है इसकी कीमत, एक ट्विटर यूजर ने 3,500 डॉलर यानी 2.5 लाख रुपये के इस कुर्ते के बारे में ट्वीट किया था।
ऐसा माना जाता है कि चटनी शब्द संस्कृत के 'चाटनी' से निकला है, जिसका अर्थ है 'चाटना', कई रूपों में पाई जाने वाली, ज़ायकों से भरी चटनी भारतीय पाककला के खजाने का अभिन्न अंग है। आइए, पढ़ते हैं कहानी चटनी की।
कच्छ का भुज शहर, अपनी रेतीली मिट्टी और कम वर्षा के लिए जाना जाता है, लेकिन भुज के गोर परिवार ने एक ऐसा हरा-भरा आशियाना बनाया है, जो पूरी तरह से इको फ्रेंडली है और आत्मनिर्भर है।
दिल्ली के रहनेवाले अनिल चेरुकुपल्ली और उनकी पत्नी अदिति ने शहरी जीवन छोड़, पहाड़ों में एक ऐसा फार्मस्टे बनाया, जिसकी उम्र 100 सालों से भी अधिक है। इसे बनाने में न पेड़ों को काटा गया है और न ही पहाड़ों को।