हरियाली से घिरे इस घर को बिना एक भी पेड़ काटे इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि यह प्रकृति का ही हिस्सा लगता है! तमिलनाडु के शूलागिरि गाँव में स्थित इस घर को अवार्ड विनिंग आर्किटेक्ट वीनू डेनियल ने प्लास्टिक की 4000 बोतलों और मिट्टी से बनाया है।
साल 2016 से प्रदीप सांगवान, हिमाचल प्रदेश के पहाड़ों को प्लास्टिक मुक्त बनाने की मुहिम में लगे हैं। उनकी संस्था 'हीलिंग हिमालय' के वेस्ट कलेक्शन सेंटर में आज हर दिन 5 टन कचरा जमा होता है।
भारतीय रेलवे की ट्रेनों में और स्टेशनों पर स्वच्छता की योजना को नए स्तर पर ले जाने वाले फेडरिक पैरियथ ने न केवल अपनी नौकरी की, बल्कि पर्यावरण के प्रति अपनी ज़िम्मेदारियां भी बखूबी निभाईं। उन्हीं के कारण अहमदाबाद रेलवे स्टेशन का कायाकल्प हो सका और आज यह कई सस्टेनेबल तरीक़ों से काम करता है।
बेंगलुरु में, Pot Hole Raja ने 3000 किलो प्लास्टिक को रिसायकल कर एक अनोखी सड़क बनाई है। कंक्रीट सड़क की तुलना में इस सड़क को बनाने की लागत कम है, कम पानी का उपयोग हुआ है और वारंटी है कि 5 साल तक गड्ढे मुक्त रहेगी रोड।
शिक्षिका ममता मेहता ने अपने स्तर पर एक मुहिम की शुरुआत की थी, जिससे शहर के 40 प्रतिशत लोग जुड़े और अब महाराष्ट्र के महाड शहर से हर महीने तकरीबन एक टन प्लास्टिक वेस्ट रीसायकल होने के लिए भेजा जाता है।
पुणे में रहने वाले नंदन भट ने प्लास्टिक के कचरे के प्रबंधन के लिए, एक सोशल स्टार्टअप 'Ecokaari' शुरू किया है। जिसके जरिए, वह सिंगल यूज पॉलिथीन, चिप्स तथा बिस्कुट आदि के रैपर्स को अपसायकल करके तरह-तरह के उत्पाद बना रहे हैं।